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जापान तकनीक से तैयार किए जाएंगे बुलेट ट्रेनों के स्टेशन

नई दिल्ली। मुंबई-अहमदाबाद के बीच निकट भविष्य में द्रुत गति से चलने वाली बुलेट ट्रेन दौड़ती हुई दिखाई देंगी। उच्च गति वाले गलियारों के रेलवे स्टेशन जापानी तकनीक (शिनकेनसेन) से तैयार किए जाएंगे। विश्व स्तरीय संरक्षा मानदंड यात्रियों को स्टेशनों पर ट्रेन से गिरने, आगजनी, भगदड़ और अपराध जैसी घटनाओं से बचाएंगे। स्टेशनों पर यात्री सुविधाओं को खास इंतजाम भी होगा। रेल मंत्रालय ने 16 फरवरी को हाई स्पीड कॉरिडोर के रेलवे स्टेशन की डिजाइन संबंधी नीति को सैद्धांतिक मंजूरी दी। इसमें जापानी तकनीक से बुलेट ट्रेन चलाने के अलावा स्टेशन भी बनाए जाएंगे। इसके तहत स्टेशनों के निर्माण में प्रमुख रूप से आपात निकास, आग से निपटने के इंतजाम और ट्रेन से गिरने की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए प्लेटफॉर्म डोर का प्रावधान किया जाएगा। स्टेशनों पर सुरक्षा जांच, प्रकाश व्यवस्था, संचार माध्यम, मौसम और मशीन रूम आदि का इंतजाम भी होगा। रेल मंत्रालय के एक वरि… अधिकारी ने बताया कि भूमिगत अथवा एलिवेटेड स्टेशनों पर उपरोक्त निर्माण में पूर्ण रूप से जापान के भवन निर्माण कानून का पालन होगा।
फायर सर्विस कानून, अलर्ट उपकरण, निर्माण सामग्री, डिजाइन आदि में जापान के कानून लागू होंगे। इसके अलावा यात्री की सुविधाओं के लिए बिजनेस क्लास और मानक स्तर के प्रतीक्षालय होंगे। दोनों क्लास में महिलाओं व पुरुषों के प्रतीक्षालय अलग अलग होगे। हालांकि जापानी तकनीक में लंबी अवधि के लिए प्रतीक्षालय नहीं बनते हैं। दिव्यांगों के लिए स्टेशनों पर वैश्विक डिजाइन के संकेतक होंगे। लिफ्ट और एलिवेटर भी बनेंगे। इनके लिए हिंदी और अंग्रेजी भाषा में संकेतक लगाए जाएंगे। टिकट खरीदने के लिए स्वचालित वेंउडग मशीनें लगाई जाएंगी। स्टेशनों पर मेट्रो की तर्ज पर प्रवेश-निकास के लिए स्वचालित टिकट निरीक्षण मशीनें होंगी। रेल मंत्रलय के विशेषज्ञों के मुताबिक जापान पिछले चार दशक से जापान सुरक्षित बुलेट ट्रेन का परिचालन कर रहा है। इस दौरान बुलेट ट्रेन के पटरी से उतरने अथवा टक्कर होने की एक भी घटना नहीं हुई। व परिचालन के जुड़े कर्मियों जवाबदेह बनाया गया है। इसी वजह से जापान भारत में शिनकेनसेन से बुलेट ट्रेन चलाने के साथ साथ स्टेशनों का निर्माण भी करेगा।

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