जी-7 में अकेले पड़े डोनाल्ड ट्रम्प कनाडा से वापस गए अमेरिका, यूरोपीय देशों ने दी चेतावनी
मालबेई : कई मसलों पर अमेरिका के अलग-थलग पड़ने के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने समय से पहले जी-7 सम्मेलन छो़ड़ दिया। वह कनाडा से वापस अमेरिका चले गए हैं। व्यापार नियमों, पर्यावरण, ईरान और रूस के जी-7 में पुन: प्रवेश के मुद्दों पर शुरुआती बैठक में ही अमेरिका और जी-7 के बाकी देशों के बीच गंभीर मतभेद पैदा हो गए।ट्रंप इन मुद्दों पर साथी देशों को सहमत नहीं कर सके। पर्यावरण और ईरान पर प्रतिबंधों के मुद्दों पर यूरोपीय देशों ने अमेरिका को विरोध करने की चेतावनी भी दे दी। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के वैश्विक व्यापार नियमों से छेड़छाड़ करने से अमेरिका और पश्चिमी देशों के बीच टकराव की स्थिति बन गई है। इसके चलते शनिवार को जी-7 देशों के संपन्न हो रहे सम्मेलन में संयुक्त बयान को लेकर असमंजस पैदा हो गया। सम्मेलन के मेजबान कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने यूरोपीय और जापानी नेताओं के साथ अमेरिका द्वारा इस्पात और एल्युमीनियम आयात पर लगाए गए अवैध शुल्क पर चर्चा की। सम्मेलन में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने मजबूती से अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, व्यापार एक मुश्किल रास्ता है। यह ऐसा रास्ता है जिससे सभी का विकास जुड़ा है। इसलिए इसमें सहमति बनाई जानी चाहिए। संयुक्त बैठक के बाद एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, हमारे बीच असहमति हो सकती है लेकिन वह ऐसी नहीं है जिसे गरम बहस कहा जाए। सम्मेलन से इतर जी-7 में शामिल यूरोपीय देशों के नेता ला मालबेई शहर के गोल्फ रिसॉर्ट में अलग से भी मिले थे और उन्होंने अपनी चिंताओं और अपेक्षाओं को साझा किया। उन्होंने ट्रंप के व्यापार, पर्यावरण, ईरान और रूस को लेकर रख पर विरोध जताया। सम्मेलन के अंतिम दौर में नेता जब हल्की-फुल्की मजाक और मनोरंजन के बीच डिनर का आनंद ले रहे थे, उस समय अधिकारी संयुक्त बयान तैयार करने के लिए मशक्कत कर रहे थे। क्योंकि दुनिया के सामने जी-7 की एकजुटता और सहमति दिखाने का भी सवाल था। दुनिया के शक्तिशाली और संपन्न देशों के जी-7 समूह में अमेरिका के अतिरिक्त ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, कनाडा, इटली और जापान हैं। रूस, चीन और भारत फिलहाल इससे बाहर हैं। ट्रंप के प्रस्ताव पर रूस ने पानी फेरा सम्मेलन से बाहर निकलकर राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा, रूस का जी-7 में फिर से शामिल होना सभी के लिए अच्छा होगा। जी-8 बनकर संपन्न और शक्तिशाली राष्ट्रों का यह गठजोड़ ज्यादा प्रभावी साबित होगा। लेकिन सम्मेलन में ट्रंप के इस प्रस्ताव को खास समर्थन नहीं मिल सका। यहां तक कि अमेरिका के नजदीकी सहयोगी ब्रिटेन और कनाडा ने भी प्रस्ताव से दूरी बनाई। रूस की प्रतिक्रिया ने भी प्रस्ताव पर पानी फेर दिया। उल्लेखनीय है कि 2014 में क्रीमिया संकट के बाद रूस को शक्तिशाली देशों के इस गुट से बाहर कर दिया गया था। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि उनके देश ने जी-7 में फिर से शामिल होने की इच्छा नहीं जताई है, वह जी 20 के साथ काम करके खुश हैं।