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ज्‍वालाजी मंद‍िर मामला : चढ़ावे में हेरफेर मामले की प्रारंभिक जांच पूरी

08_11_2016-jawalaji-temple-kangra
उत्तर भारत के प्रसिद्ध शक्तिपीठ ज्वालामुखी मंदिर के चढ़ावे में हेरफेर होने के वीडियो वायरल होने के मामले की प्रारंभिक जांच पूरी हो गई है।

शिमला [जेएनएन] : उत्तर भारत के प्रसिद्ध शक्तिपीठ ज्वालामुखी मंदिर के चढ़ावे में हेरफेर होने के वीडियो वायरल होने के मामले की प्रारंभिक जांच पूरी हो गई है। इसकी रिपोर्ट उपायुक्त कांगड़ा सीपी वर्मा को एसडीएम ज्वालामुखी ने सौंप दी है। उपायुक्त ने दैनिक जागरण से कहा कि ट्रस्टी का इस्तीफा ले लिया है। अब इसमें अब और जांच के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है।

मंदिर की गणना कक्ष में सुरक्षा को मजबूत किया जाएगा, लेकिन हैरानी इस बात की है कि हेरफेर के इतने बड़े मामले का प्रशासन एक इस्तीफा लेकर शांत करने में लगा हुआ है। मंदिर की ट्रस्टी पर कार्रवाई करके प्रशासन ने साबित कर दिया कि गणना कक्ष में जरूर कुछ गलत हुआ है, लेकिन अफसर पर कार्रवाई करने में प्रशासन की हिम्मत नहीं बढ़ रही है। हालांकि अफसर गणना कक्ष में मौजूद थे। नियमों की ढील को लेकर अफसर ने कोई भी कार्रवाई नहीं की थी। वहीं चढ़ावे की गणना के दौरान कथित गोलमाल के मामले में मचे हो हल्ले के बीच मंदिर प्रशासन ने सफाई दी है कि मंदिर में कोई गड़बड़ नहीं हुई है व चढ़ावा पहले से बढ़ा है।

सूत्रों के अनुसार इस मामले में मंदिर अधिकारी सहित करीब तीस कर्मचारी जांच के दायरे में आ गए है। सीसीटीवी कैमरों से जिन तीन वीडियों के आधार पर कहा जा रहा है कि गणना के दौरान मंदिर न्यास के एक सदस्य ने गणना करते समय हेराफेरी की है, उसको लेकर अब नया बवाल उठ खड़ा हुआ है। इससे यहा हड़कंप का माहौल है।

सारे मामले की जांच के बाद मंदिर प्रशासन का रिकॉर्ड दर्शा रहा है कि जिस दिन की यह वारदात बताई जा रही है।उस दिन गणना के लिए करीब तीस कर्मचारी तैनात थे व साथ में मंदिर अधिकारी व न्यास का एक सदस्य भी था, लेकिन निशाने पर महज एक ट्रस्टी ही आया। इससे कई सवाल उठ खड़े हुए है।

स्वयं मंदिर अधिकारी की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे है कि आखिर उनकी मौजूदगी में गणना के दौरान कैसे गड़बड़ हुई। गड़बड़ हुई है तो इस मामले पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई। सवाल उठ रहा है कि आखिर सीसीटीवी कैमरो से कैसे वीडियो फुटेज को बाहर निकाला गया व उसे सोशल मीडिया में डाला गया। अब तो मंदिर में भ्रष्टाचार रोकने के लिए लगाई गई तीसरी आंख पर भरोसा कैसे किया जाए। इस पर भी सवाल उठ रहे है। मंदिर प्रशासन के अपने नियम ही कहते है कि सीसीटीवी कैमरों का नियंत्रण मंदिर अधिकारी के पास रहेगा, व उन्हें कोई दूसरा आदमी नहीं छेड़ सकता।

यही नहीं गणना कक्ष में बाहर जाते व अंदर आते समय तलाशी ली जाती है। तीस कर्मचारियों की मौजूदगी में कैसे चढ़ावे के पैसे को जेब में डाला गया। आखिर क्यों उस समय वहां मौजूद तीस लोग चुप रहे। दरअसल इस मामले की चर्चा तो तब हुई जब वीडियो वायरल हुआ। यही वजह है कि अब मंदिर प्रशासन के अपने ही कर्मियों के पसीने छूटने लगे है। इस कारण राजनेताओ के दरबार में भी मामले से निपटने के तौर तरीको पर मंथन होना शुरू हो गया है।

 

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