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टार्च-रस्सियों से आपदा प्रबंधन बड़ी आग में भिलाई का सहारा

stst_1446681457दस्तक टाइम्स/एजेंसी- छत्तीसगढ़:

रायपुर. सरकार ने होमगार्ड, फायर ब्रिगेड और आपदा प्रबंधन को एक छत के नीचे लाने का ऐलान किया है। राज्य तो दूर, राजधानी में ही फायर ब्रिगेड और आपदा प्रबंधन का सिस्टम लगभग फेल है। भास्कर की पड़ताल में पता चला कि रायपुर जिले में बाढ़ नियंत्रण के नाम पर सिर्फ एक बोट है, जिसमें इंजन नहीं है। कोई मुसीबत आए तो राहतकर्मियों के लिए रस्सी, टार्च और जूतों के अलावा कोई और संसाधन नहीं हैं।
रायपुर का फायर ब्रिगेड सिस्टम भी संसाधनों के साथ-साथ फायर फाइटरों की कमी का शिकार है। बहुमंजिली इमारतों में आग बुझाने की व्यवस्था ही नहीं है, आग बड़ी हो तो भिलाई का ही सहारा है जानकारों का यह भी कहना है कि शासन को नया सिस्टम खड़ा करने में काफी वक्त भी लग सकता है।
 
न सामान है न तकनीक
 
जिले में आपदा प्रबंधन का काम फिलहाल जिला प्रशासन के जिम्मे है। भास्कर टीम की पड़ताल में पता चला कि इस सेवा को ही इमरजेंसी सेवा की जरूरत है। पूरे राज्य में बाढ़ जैसी आपदा से निपटने के हाईटेक इंतजाम नहीं है। रायपुर जिला आपदा प्रबंधन टीम के पास इतना साजो-सामान भी नहीं है कि नदियां तो दूर, नालों की बाढ़ से निपट सकें। अब तक राज्य में आपदा प्रबंधन संस्थान की स्थापना नहीं हो सकी है। इस संस्थान को नया रायपुर में खोलने की बात कही जाती है, लेकिन अब तक यह मामला फाइलों में दौड़ रहा है।
 
खंडहर हो गया फायर स्टेशन
 
राजधानी में फायर ब्रिगेड को फिलहाल नगर निगम आपरेट कर रहा है। भास्कर की पड़ताल में पता चला कि इस टीम के संसाधन भी नाममात्र ही हैं। राजधानी की चारों दिशाओं में फायर स्टेशन बनाना था, लेकिन नहीं बन पाए हैं। 10 साल पहले बना गुढ़ियारी स्टेशन इस्तेमाल नहीं होने के कारण खंडहर होने लगा है। कई ऐसे मौके आए हैं, जब राजधानी में आग लगने पर भिलाई ब्रिगेड की मदद ली जाती रही है। सात माह पहले 10 मंजिल तक आग बुझाने वाली हाइड्रोलिक प्लेटफार्म मशीन आई जरूर है, लेकिन यह भी बिगड़ चुकी है।

 

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