नई दिल्ली: कोरोना के डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ वैक्सीन का असर आठ गुना कम होगा। एक नई स्टडी में इस बात का दावा किया गया है। इसका मतलब है कि वुहान वैरिएंट की तुलना में डेल्टा वैरिएंट पर कोरोना वैक्सीन से बनी एंटीबॉडीज का प्रभाव कम होगा। गौरतलब है कि डेल्टा वैरिएंट को लेकर डब्लूएचओ पहले ही चिंता जता चुका है। यह स्टडी सर गंगाराम हॉस्पिटल में की गई है। इसमें यह भी कहा गया है कि डेल्टा वैरिएंट ठीक हो चुके कोरोना मरीजों पर भी कम प्रभावी होगा। रिसर्च स्क्वॉयर द्वारा की गई इस रिसर्च के मुताबिक री—इंफेक्शन और ट्रांसमिशन ने डेल्टा वैरिएंट के फैलाव में अहम भूमिका निभाई है। सिर्फ यही नहीं वैक्सीनेटेड हेल्थकेयर वर्कर्स में ट्रांसमिशन क्लस्टर में भी डेल्टा वैरिएंट की भूमिका दिखी। स्टडी में कहा गया है कि पूरे भारत से तीन सेंटर्स के 100 वैक्सीनेटेड हेल्थ वर्कर्स पर एनालिसिस में देखा गया कि डेल्टा वैरिएंट नॉन डेल्टा वैरिएंट की तुलना में न सिर्फ अधिक प्रभावी है। बल्कि हेल्थवर्कर्स में इसके संक्रमण की रफ्तार भी काफी ज्यादा है।
गौरतलब है कि 2020 के आखिर में कोरोना के डेल्टा वैरिएंट की पहचान सबसे पहले महाराष्ट्र में हुई थी। इसके बाद धीरे—धीरे देशभर में इसके केसेज मिलने लगे थे। अब भारत में कोरोना के अन्य वैरिएंट्स की तुलना में डेल्टा वैरिएंट सबसे ज्यादा प्रभाव वाला वैरिएंट बन चुका है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक स्टडी में यह भी कहा गया है कि यह वैरिएंट स्पाइक प्रोटीन को बढ़ावा देता है। इसके चलते वायरस फेफड़ों की कोशिकाओं पर असर दिखाता है और वुहान वैरिएंट की तुलना में ज्यादा लोगों को संक्रमित करता है। साथ ही इसकी प्रसार क्षमता भी ज्यादा है। इसके चलते यह इसका संक्रमण और खतरनाक हो सकता है।