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ताजमहल हमारा, सुप्रीम कोर्ट बोला- शाहजहां के साइन लेकर आओ: वक्‍फ बोर्ड

नई दिल्लीः ताजमहल पर हक को लेकर सुन्नी वक्फ बोर्ड और भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के बीच विवाद चल रहा है. मामला कोर्ट में है. सुनवाई के दौरान सुन्नी वक्फ बोर्ड ने ताजमहल पर मालिकाना हक का दावा किया. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप हमें शाहजहां के दस्तखत वाले दस्तावेज दिखाएं. कोर्ट ने शाहजहां की पत्नी मुमताज महल की याद में बनाए ताजमहल जुड़े हस्ताक्षर वाले दस्तावेज एक हफ्ते में पेश करने को कहा. बोर्ड के आग्रह पर कोर्ट ने एक हफ्ते का समय दिया है.

सुन्नी वक्फ बोर्ड ने जुलाई 2005 में आदेश जारी कर ताज महल को अपनी संपत्ति के तौर पर रजिस्टर करने को कहा था. एएसआई ने इसके खिलाफ 2010 में सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. इसके बाद कोर्ट ने बोर्ड के फैसले पर स्टे लगा दिया था. मोहम्मद इरफान बेदार ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के समक्ष याचिका दाखिल कर ताजमहल को उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड की सम्पति घोषित करने की मांग की थी.

सुपीम कोर्ट ने कहा कि मुगलकाल के अंत के साथ ही ताजमहल समेत अन्य ऐतिहासिक इमारतें अंग्रेजों को ट्रांसफर हो गई थीं. आजादी के बाद से यह स्मारक सरकार के पास है और एएसआई इसकी देखभाल कर रहा है. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने कहा, ‘भारत में कौन विश्वास करेगा कि ताज महल वक्फ बोर्ड का है? ऐसे ममालों पर सुप्रीम कोर्ट का वक्त बर्बाद न करें.

चीफ जस्टिस ने पूछा, ‘शाहजहां ने वक्फनामे पर दस्तखत कैसे किए? वह तो जेल में बंद थे. वह हिरासत से ही ताज महल देखते थे.’ एएसआई की ओर से पेश वकील ने कहा कि वक्फ बोर्ड ने जैसा दावा किया है, वैसा कोई वक्फनामा नहीं है. ताजमहल का निर्माण 17वीं शताब्दी में मुगल शासक शाहजहां ने करवाया था.

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