तालिबान से बोला अमेरिका, अफगानिस्तान के चुनावों में हिस्सा लो
अमेरिका ने गुरुवार (26 अप्रैल) को तालिबान से विदेशी ठिकानों को छोड़ अफगानिस्तान वापस लौटने और देश में होने वाले चुनावों में हिस्सा लेने का आग्रह किया. अमेरिका का यह भी कहना है कि तालिबान की ओर से नये सिरे से हमलों की घोषणा का कोई औचित्य नहीं है. कार्यवाहक विदेश मंत्री जॉन सुलिवन ने कहा, ‘‘जैसा की राष्ट्रपति अशरफ गनी ने कहा था कि तालिबान को अपनी गोलियां और बमों को छोड़कर वोटों को हथियार बनाना चाहिए. उन्हें चुनावों में शामिल होना चाहिए. उन्हें वोट देना चाहिए. हम तालिबान नेताओं को विदेशों में बने सुरक्षित ठिकानों से अफगानिस्तान वापस आने और अफगानिस्तान के भविष्य के लिए रचनात्मक रूप से काम करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं.’’
तालिबान को मुख्य धारा में शामिल होने का न्योता
सुलिवन ने कहा कि तालिबान ने युद्ध से जर्जर देश में नए सिरे से हमले शुरू करने की घोषणा 25 अप्रैल को की. गौरतलब है कि राष्ट्रपति गनी और सुलिवन ने तालिबान को मुख्य धारा में शामिल होने का ‘ऐतिहासिक’ न्योता दिया है. उन्होंने कहा, ‘‘नए सिरे से हमलों की कोई आवश्यकता नहीं है. इसके बावजूद, तालिबान ने लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त अफगान सरकार और उनके साथी अफगानों को निशाना बनाते हुए मूर्खतापूर्ण तरीके से हमले/हिंसा करने की घोषणा कर रहा है.’’ सुलिवन ने कहा कि अमेरिका, तालिबान की घोषणा की प्रतिक्रिया में अफगानिस्तान के लोगों के साथ खड़ा है.
तालिबान ने सरकार की शांति वार्ता की पेशकश ठुकराई, फिर शुरू करेगा हमला
तालिबान ने हर साल की तरह ही इस साल भी वसंत के मौसम में फिर से अपने हमलों को तेज कर दिया है. तालिबान के बुधवार (25 अप्रैल) से शुरू हुए इन हमलों से लगता है कि उसने अफगानिस्तान सरकार की शांति वार्ता की पेशकश को ठुकरा दिया है. तालिबान के एक बयान के मुताबिक उसका ‘ऑपरेशन अल खंदक’ अमेरिकी बलों को, उनके ‘‘खुफिया एजेंटों’’ और साथ ही साथ उनके ‘‘अंदरूनी हिमायतियों’’ को निशाना बनाएगा.