ज्ञान भंडार
दलितों को जिंदा जलाया मामलाः आग में झुलसी महिला ने दर्ज कराया बयान


गांव में भारी सुरक्षा बल तैनात है। सीबीआई ने अभी जांच शुरू नहीं की है, लेकिन पुलिस की विशेष जांच टीम ने गांव का दौरा किया। टीम में मौजूद एसीपी ने इस दौरान आसपास के कुछ लोगों से पूछताछ भी की तथा टीम ने करीब डेढ़ घंटा यहां घूम कर जांच पड़ताल भी की। सुनपेड़ कांड में जितेन्द्र की शिकायत पर गिरफ्तार जिन लोगों को पुलिस रिमांड पर लिया गया था उन्हें अब न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
क्या है मामला?
फरीदाबाद के पास बल्लभगढ़ के सुनपेड गांव में सोमवार-मंगलवार की दरमियानी रात कुछ लोगों ने दलित समुदाय के जितेंद्र के घर में घुसकर पेट्रोल छिड़का और आग लगा दी। फिर बाहर से दरवाजा बंदकर भाग गए। घटना में बुरी तरह से झुलसे जितेंद्र के दोनों बच्चों की दिल्ली के अस्पताल में मौत हो गई। जितेंद्र और उनकी पत्नी भी घायल हो गए।
फरीदाबाद के पास बल्लभगढ़ के सुनपेड गांव में सोमवार-मंगलवार की दरमियानी रात कुछ लोगों ने दलित समुदाय के जितेंद्र के घर में घुसकर पेट्रोल छिड़का और आग लगा दी। फिर बाहर से दरवाजा बंदकर भाग गए। घटना में बुरी तरह से झुलसे जितेंद्र के दोनों बच्चों की दिल्ली के अस्पताल में मौत हो गई। जितेंद्र और उनकी पत्नी भी घायल हो गए।
क्या है विवाद की वजह?
इस गांव में पिछले एक साल से तनाव है। दलितों और दूसरी जाति के लोगों के बीच झगड़ा मोबाइल को लेकर शुरू हुआ। 5 अक्टूबर 2014 को अपर कास्ट के तीन युवकों की हत्या कर दी गई। तब दलित परिवार पर हत्या का आरोप लगा था। पुलिस ने 11 को गिरफ्तार किया था। दलितों को डर था कि दबंग पूरी जाति से बदला लेंगे। लिहाजा, बाकी दलित परिवार गांव छोड़ कर चले गए। जितेंद्र भी उन्हीं में से था। मामला एससी-एसटी आयोग में गया। आयोग ने फरीदाबाद पुलिस कमिश्नर से इन परिवारों को दी जाने वाली सुरक्षा के बारे में पूछा। पिछले साल दिसंबर में कमिश्नर ने लिखित में कहा कि जितेंद्र के घर के पास एक पुलिस जिप्सी, आधा दर्जन हथियारबंद जवान और दो बाइक सवार जवान तैनात रहेंगे। एसएचओ खास निगरानी भी करेंगे। इस भरोसे के बाद जितेंद्र और उसका परिवार इस साल जनवरी में गांव लौटा था।
इस गांव में पिछले एक साल से तनाव है। दलितों और दूसरी जाति के लोगों के बीच झगड़ा मोबाइल को लेकर शुरू हुआ। 5 अक्टूबर 2014 को अपर कास्ट के तीन युवकों की हत्या कर दी गई। तब दलित परिवार पर हत्या का आरोप लगा था। पुलिस ने 11 को गिरफ्तार किया था। दलितों को डर था कि दबंग पूरी जाति से बदला लेंगे। लिहाजा, बाकी दलित परिवार गांव छोड़ कर चले गए। जितेंद्र भी उन्हीं में से था। मामला एससी-एसटी आयोग में गया। आयोग ने फरीदाबाद पुलिस कमिश्नर से इन परिवारों को दी जाने वाली सुरक्षा के बारे में पूछा। पिछले साल दिसंबर में कमिश्नर ने लिखित में कहा कि जितेंद्र के घर के पास एक पुलिस जिप्सी, आधा दर्जन हथियारबंद जवान और दो बाइक सवार जवान तैनात रहेंगे। एसएचओ खास निगरानी भी करेंगे। इस भरोसे के बाद जितेंद्र और उसका परिवार इस साल जनवरी में गांव लौटा था।