नई दिल्ली । दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को यहां के निजी स्कूलों में नर्सरी कक्षा में दखिले के नए मापदंडों को रद्द करने से इनकार कर दिया। न्यायालय ने कहा कि इस स्तर पर मापदंडों में हस्तक्षेप करने से असमंजस की स्थिति उत्पन्न होगी। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन. वी. रमन और न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलॉ की खंडपीठ ने निजी स्कूल की याचिका खारिज कर दी जिसने दिल्ली के उप राज्यपाल नजीब जंग द्वारा नर्सरी में दाखिले के लिए तय किए गए मापदंडों की अधिसूचना को अदालत में चुनौती दी थी। खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि यह उन बच्चों और अभिभावकों के हित में नहीं है जो नर्सरी स्कूलों में दाखिले के प्रयास में लगे हैं। अदालत ने कहा ‘‘हम इस नतीजे पर पहुंचे कि इस स्तर पर मामले में हस्तक्षेप करने से असमंजस की स्थिति उत्पन्न होगी और यह दाखिले का प्रयास कर रहे बच्चों और उनके अभिभावकों के हित में नहीं होगा।’’ दिल्ली में 15 जनवरी से नर्सरी स्कूलों में दखिला शुरू होना था। लेकिन अदालत के फैसल आने तक दाखिला प्रक्रिया स्थगित कर दी गई थी। खंडपीठ ने यह भी कहा कि महत्वपूर्ण बात यह है कि अभिभावकों ने उप राज्यपाल के आदेश का विरोध नहीं किया बल्कि इसके समर्थन में आगे आए। कहा गया था कि निजी स्कूलों की स्वायत्ता सरकारी हस्तक्षेप और स्वेच्छाचारी होने के महत्वपूर्ण मुद्दे पर एकल न्यायाधीश को फैसला सुनाने के निर्देश जारी किए गए थे।
निजी स्कूलों ने 1० जनवरी को जारी किए गए एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ याचिका दाखिल की थी। आदेश में निजी स्कूलों को किसी तरह की रियायत देने से इनकार किया गया था। निजी स्कूलों का कहना है कि उप राज्यपाल द्वारा 18 दिसंबर को जारी अधिसूचना अवैध मनमानी और अधिकारक्षेत्र से बाहर है। नए दिशा-निर्देशों के अनुसार नर्सरी स्कूलों की दाखिला प्रक्रिया 1०० प्वाइंटर के आधार पर जारी रहेगी लेकिन स्कूल से आठ किलोमीटर के क्षेत्र में रहने वाले बच्चों को भी ‘पड़ोस’ वाले मापदंड में शामिल किया जाएगा।