उपराज्यपाल अनिल बैजल द्वारा मंगलवार को सरकार के नौ सलाहकार हटाए जाने के आदेश से दिल्ली की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार सकते में है। सरकार में इस कार्रवाई से कितनी नाराजगी है यह उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की प्रेसवार्ता में दिखी।
उन्होंने साफ कहा कि इस कार्रवाई से खासकर शिक्षा के क्षेत्र में किए जा रहे जनता के कार्य प्रभावित होंगे। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का उपराज्यपाल के माध्यम से जो पत्र आया है, उसमें सीधे तौर पर शिक्षा मंत्री की सलाहकार पद पर काम कर रहीं आतिशी मरलेना को हटाना है। क्योंकि मरलेना शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर काम कर रही थीं। बच्चों की शिक्षा बेहतर हो रही थी। तीन साल में शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर हुई है। इन लोगों ने पहले आइएएस अधिकारियों को धमकाया और अब सरकार के लिए बेहतर काम कर रहे सलाहकारों को हटाया है।
इसमें मुख्यरूप से आतिशी मरलेना को निशाना बनाया गया है। जबकि मरलेना ऑक्सफोर्ड की पढ़ी हुई हैं। वह दिल्ली सरकार में एक रुपये के वेतन पर काम कर रही थीं।
भाजपा ने कहा- 9 सलाहकारों को हटाना सही
विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया सलाहकारों द्वारा किए जा रहे कार्यो की बात कर रहे हैं। यह असली मुद्दे से ध्यान भटकाने की कोशिश है। शुंगलू कमेटी ने सबसे पहले इन नियुक्तियों पर सवाल उठाए थे।
यह मामला काफी समय से प्रशासनिक स्तर पर चल रहा था और इनमें से कई पद रिक्त भी हो गए थे। बिना सृजित पदों के तथा बिना वित्तीय विभाग की स्वीकृति के इन्हें सीधे नियुक्त किया गया था। नियुक्ति से पहले ये आप के पदाधिकारी अथवा कार्यकर्ता थे। इस तरह से इनकी नियुक्ति राजनीतिक संबंधों के चलते की गई थी। इसमें वैधानिक प्रक्रिया पूरी नहीं की गई थी।
उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल सरकार ने नियमों का उल्लंघन करते हुए इन्हें भारी भरकम वेतन, गाड़ी, मकान, कार्यालय, टेलीफोन आदि की सुविधाएं दी थीं। इन्हें राजनीतिक कार्यों का पुरस्कार देते हुए सरकारी पदों पर नियुक्त किया गया था। ये पद सरकार में स्वीकृत ही नहीं थे और कैबिनेट इनकी नियुक्ति करने में सक्षम नहीं था। इसलिए इनकी नियुक्ति को रद करने का फैसला बिल्कुल सही है।
कांग्रेस ने भी बोला हमला
उधर, शुंगलू कमेटी द्वारा सवाल उठाए जाने के बाद मंगलवार को दिल्ली सरकार के 9 सलाहकारों की नियुक्तियां रद करने के बाद दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने भी आप सरकार को आड़े हाथ लिया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने जनता के पैसों से कार्यकर्ताओं को रेवड़ियां बांटी हैं।
माकन ने कहा कि जो कार्रवाई हुई है इसमें कोई आश्चर्य की बात नही है, क्योंकि शुंगलू कमेटी ने 28 नवंबर 2016 की रिपोर्ट में कहा था कि दिल्ली सरकार ने पार्टी के 71 कार्यकर्ताओं की नियुक्ति में अनियमितताएं की हैं। माकन ने कहा कि न सिर्फ उनकी नियुक्ति गैर कानूनी थी, बल्कि इन लोगों को वेतन 1.30 लाख रुपये प्रतिमाह तक दिया गया था जो कि पहले कभी नही हुआ।
अजय माकन ने कहा कि दिल्ली सरकार ने 21 संसदीय सचिव की नियुक्ति भी गैर कानूनी ढंग से की थी। सरकार ने करदाताओं के पैसों का दुरुपयोग करते हुए उच्च वेतन पर सलाहकारों तथा अन्य पदों पर नियुक्तियां की हैं। यह सरकार दिल्ली के लोगों के हितों में काम नही कर रही है। जनता के पैसे पर डाका डालकर अपने कार्यकर्ताओं की गैर कानूनी तरीके से नियुक्ति कर रही है।