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 देश की 15 प्रतिशत आबादी हड़ताल पर, इन क्षेत्रों पर पड़ेगा असर

nationwide-strike_1472788127 (1)बैंकिंग , सार्वजनिक परिवहन जैसी आवश्यक सेवाएं आज हड़ताल के कारण बाधित हो सकती हैं। आज ट्रेड यूनियन की राष्ट्रव्यापी हड़ताल का दिन है। यूनियन का आरोप है कि सरकार उनकी बेहतर वेतन की मांग नहीं मान रही है, साथ ही श्रमिक कानूनों में बदलाव की सरकार की नीतियों को श्रमिक संगठनों ने ‘श्रमिक विरोधी’ करार दिया है।
क्यों है हड़ताल?
दरअसल, पिछले दिनों सरकार ने घोषणा की थी कि वह अकुशल श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी 246 रुपए से बढ़ाकर 350 रुपए दैनिक करने जा रही है। सरकार का दावा है कि ‘न्यूनतम मजदूरी सलाहकारी बोर्ड’ की 29 अगस्त की बैठक में हुए विचार-विमर्श के आधार पर यह फैसला लिया जा रहा है। सरकार का कहना है कि ट्रेड यूनियनों ने भी इस बैठक में हिस्सा लिया था।  वहीं, ट्रेड यूनियनों का कहना है कि बैठक में ऐसे किसी प्रस्ताव पर विचार -विमर्श हुआ ही नहीं था। इस बोर्ड के सदस्य कश्मीर सिंह ठाकुर ने श्रम और रोजगार मंत्री बंडारू दत्तात्रेय को पत्र लिखकर कहा है, ‘न्यूनतम मजदूरी 350 रुपए प्रतिदिन किए जाने का प्रस्ताव बैठक में रखा ही नहीं गया था।’

क्या है ट्रेड यूनियन का पक्ष

ट्रेड यूनियन के नेता कश्मीर सिंह ठाकुर का कहना है बोर्ड की बैठक में हिस्सा लेने वाले श्रमिकों के प्रतिनिधि लगातार दोहराते रहे हैं कि न्यूनतम वेतन 18 हजार रुपए मासिक यानी 692 रुपए प्रतिदिन होना चाहिए। यह ही झगड़े की मुख्य वजह है। 
 बैंक से बस, फोन से फैक्ट्री तक आज सब ठप

कैसे तय हो न्यूनतम मजदूरी?
न्यूनतम वेतन को लेकर दो विरोधाभासी प्रस्तावों का आधार क्या है? सरकार ने इसकी जानकारी नहीं दी है कि आखिर उसने 350 रुपए दैनिक वेतन किस आधार पर तय किया जबकि ट्रेड यूनियन का कहना है कि इंडियन लेबर कॉन्फ्रेंस में मानकों के आधार पर न्यूनतम वेतन का आंकड़ा तय किया गया है। सातवें वेतन आयोग ने जिस तरीके का इस्तेमाल किया है, उन्हीं मानकों के आधार पर न्यूनतम मजदूरी तय की गई है। इसके लिए लेबर ब्यूरो के आंकड़ों का भी इस्तेमाल किया गया है। इस तरह सरकार जो न्यूनतम मजदूरी तय कर रही है वह श्रमिकों की मांग के ठीक आधी है।

 
 

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