नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को 2००9 के देहरादून फर्जी मुठभेड़ कांड के 18 में से 17 दोषी पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इस घटना में प्रबंधन के 22 वर्षीय छात्र की मौत हो गई थी। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के विशेष न्यायाधीश जी.पी.एस.मलिक ने फर्जी मुठभेड़ कांड के 17 दोषी पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने शुक्रवार को युवक की हत्या के लिए 18 पुलिसकर्मियों को दोषी पाया था लेकिन इनमें से एक को हत्या के आरोप से बरी करते हुए रिकार्ड में हेरफेर करने का दोषी ठहराया। जसपाल सिंह गोसाईं को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 218 के तहत दोषी पाया गया है। इससे पहले दोषी पाए गए पुलिसकर्मियों में गोसांई के अतिरिक्त पुलिस निरीक्षक संतोष जयसवाल उप-निरीक्षक गोपाल दत्त भप्त राजेश बिष्ट नीरज कुमार नितिन चौहान और चंद्र मोहन कांस्टेबल अजीत सिंह सतबीर सिंह सुनील सैनी चंद्र पाल सौरभ नौटियाल नागेंद्र नाथ विकास चंद्र बलुनी संजय रावत मोहन सिंह राणा इंदर भान सिंह और मनोज कुमार शामिल हैं। इन लोगों की गिरफ्तारी गाजियाबाद निवासी रणबीर सिंह की मोहिनी रोड पर उसके साथियों के साथ पकड़े जाने और फिर उत्तराखंड पुलिस द्वारा उसकी हत्या किए जाने के सबूत पाए जाने के बाद हुई है। ऐसा कहा जा रहा था कि रणबीर तीन जुलाई 2००9 को घटना के वक्त अपने साथियों के साथ कोई अपराध करने की फिराक में था।