राज्य
दोषी महिला ने कहा था, देवी को रक्त चढ़ाने से होगा भला
महाराष्ट्र: चोरंबा गांव के सपना पलस्कर नरबलि कांड को लेकर कोर्ट में आरोपियों व गवाहों के बयानों से जो बातें सामने आई हैं, उससे कहा जा सकता है कि अंधविश्वास की क्रूर पराकाष्ठा का इससे इतर शायद ही कोई अन्य मामला हो। मामले में सोमवार को जिस महिला दुर्गा शिरभाते को उम्रकैद की सजा सुनाई गई, उसने अपने शरीर में देवी आने की बात कर लोगों को गुमराह किया था।
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उसने लोगों से कहा कि देवी को किसी कन्या का रक्त चढ़ाने से कुल और गांव का भला होगा। जिसके बाद उसके बहकावे में आकर गांव के ही मनोज लाल्या आत्राम, देवीदास आत्राम, यादवराव टेकाम, पुनाजी आत्राम, रामचंद्र आत्राम, मोतीराम मेश्राम, यशोदा मेश्राम ने पांडुरंग मेश्राम के कहने पर कन्या की बलि चढ़ाने का षड्यंत्र रचा। इसमें दुर्गा शिरभाते खुद भी शामिल थी। इसे अंजाम देने के लिए चोरांबा निवासी गोपाल पलसकर की बेटी सपना का 24 अक्टूबर, 2012 की रात 7:30 बजे यादवराव टेकाम नामक आरोपी ने अपहरण कर लिया।
यादवराव सपना को अपने कंधे पर उठाकर यशोदाबाई के घर ले आया, मोतीराम महादेव मेश्राम कथित मंत्रोचार करता रहा और अन्य आरोपियों ने सपना को दबोचे रखा।
इसके बाद रामचंद्र आत्राम ने अपने घर से लाई लोहे की छुरी से सपना का गला रेतकर उसकी बलि चढ़ा दी। जब सपना का सिर धड़ से अलग हुआ तो उसे देवी के कलश के सामने रख दिया गया। यशोदा मेश्राम ने सपना का रक्त जमा कर उसे कलश पर छिड़क दिया।
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खेत की मेढ़ पर दफना दिया था शव
यशोदा मेश्राम तथा मोतीराम मेश्राम इसके बाद रात में चोरांबा गांव के दुर्गोत्सव में स्थापित देवी की प्रतिमा के पास गए। वहां उन्होंने देवी पर तथा होम पर रक्त डाला और वापस घटनास्थल पर आ गए। यही नहीं सभी ने सपना के रक्त को प्रसाद के तौर पर पिया। इसके बाद सपना के शरीर तथा उसके कटे सिर को एक बोरे में भर दिया। पूजा का सामान यशोदा के घर के स्नानगृह के बगल में गड्ढा बनाकर दफना दिया गया।
बाद में इन आरोपियों ने यशोदा मेश्राम के कहने पर सपना का शव गांव के निकट लियाकत तंवर के खेत की मेढ़ पर गड्ढा खोदकर दफना दिया। उसके बाद सपना की खोपड़ी, अस्थियां तथा कपड़े बाहर निकालकर चोरांबा गांव के निकट जंगल में लाकर डाल दिए । काफी समय तक सपना की गुमशुदगी को लेकर पूरे जिले में बवाल मचा रहा। बात राज्य स्तर पर पहुंची। लगातार दबाव बढ़ता देख पुलिस सक्रिय हुई और सपना की तेजी से खोजबीन शुरू हो गई। अंतत: पूरे मामले का पुलिस ने पर्दाफाश किया।
13 गवाहों के बयानों की हुई जांच
जिला व सत्र न्यायालय में इस प्रकरण में कुल 13 गवाहों के बयान जांचे गए। खास यह भी कि सपना की माता शारदा तथा पिता गोपाल पलसकर अपने बयान से पलट गए थे। आखिर प्रकरण की सुनवाई पूरी हुई। और 7 आरोपियों को सोमवार को न्यायालय ने फांसी की सजा सुनाई तथा दुर्गा शिरभाते का उम्रकैद की सजा सुनाई। इसके अलावा सभी आरोपियों को विभिन्न धाराओं के तहत अतिरिक्त सजा भी सुनाई गई है। प्रकरण में सहायक सरकारी वकील तथा अतिरिक्त सरकारी अधिवक्ता एड.शुभांगी दरणे ने पैरवी की।
जिला व सत्र न्यायालय में इस प्रकरण में कुल 13 गवाहों के बयान जांचे गए। खास यह भी कि सपना की माता शारदा तथा पिता गोपाल पलसकर अपने बयान से पलट गए थे। आखिर प्रकरण की सुनवाई पूरी हुई। और 7 आरोपियों को सोमवार को न्यायालय ने फांसी की सजा सुनाई तथा दुर्गा शिरभाते का उम्रकैद की सजा सुनाई। इसके अलावा सभी आरोपियों को विभिन्न धाराओं के तहत अतिरिक्त सजा भी सुनाई गई है। प्रकरण में सहायक सरकारी वकील तथा अतिरिक्त सरकारी अधिवक्ता एड.शुभांगी दरणे ने पैरवी की।