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दो करोड़ रुपये लेवी न देने और पांच करोड़ के पुराने नोट नहीं बदलने के कारण हुआ माओवादी हमला

  • पुलिस-नक्सलियों के बीच हुई थी गोलीबारी, औरंगाबाद के देव प्रखंड मुख्यालय में तैनात है सीआरपीएफ की बेस कम्पनी


गया : औरंगाबाद जिले के देव में शनिवार की देर रात नक्सलियों ने जो हमला किया उसकी वजह दो करोड़ रुपये लेवी न देना और नोटबंदी के दौरान पांच करोड़ रुपये के पुराने नोट न बदलना है । हालांकि यह भी हकीकत है कि पुलिस यदि सतर्क रहती तो इस हमले को रोका जा सकता था । घटनास्थल से बरामद नक्सली पर्चे में कहा गया है कि नोटबंदी के समय पांच करोड़ रुपया संगठन की ओर से बदलने और दो करोड़ रुपया लेवी नहीं देने के कारण घटना को अंजाम दिया गया है। खबर है कि प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के शीर्षस्थ कमांडरों में शुमार संदीप यादव, विनय यादव और विवेक यादव की गुरिल्ला युद्ध में पारंगत कुख्यात हथियारबंद दस्ते के साथ औरंगाबाद जिले में इन दिनों सक्रियता बढ़ी हुई है। नक्सलियों के निशाने पर भाजपा के विधान परिषद के सदस्य राजन सिंह,गोतिया सुनील सिंह सहित कई व्यक्ति हैं।इस सम्बन्ध में पुलिस और नक्सलियों के बीच गया- औरंगाबाद के सीमावर्ती क्षेत्र में हुई मुठभेड़ के बाद बरामद भाकपा माओवादी की हिटलिस्ट से सम्बंधित कागजात से खुलासा हो चुका है। नक्सलियों ने अपनी हिटलिस्ट में शामिल गया के आमस थाना क्षेत्र अंतर्गत एक एसपीओ और औरंगाबाद में एक पूर्व नक्सली की हत्या कर अपने मंसूबे को साफ कर दिया था। नक्सलियों की हिटलिस्ट में शामिल भाजपा के वरिष्ठ नेता सह विधान परिषद के सदस्य राजन सिंह अपनी जान- माल की सुरक्षा की गुहार पुलिस महानिदेशक से पूर्व में मिलकर कर लगा चुके हैं लेकिन औरंगाबाद पुलिस राजन सिंह और उनके परिजनों को नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के हथियारबंद दस्ते की कार्रवाई से बचाने में नाकाम साबित हुई जबकि देव प्रखंड मुख्यालय में केंद्रीय अर्धसैनिक बल सीआरपीएफ की 153 बटालियन का एक बेस कैंप भी है जहां अत्याधुनिक हथियारों से लैस सौ से अधिक जवानों की तैनाती है। इससे पहले शुक्रवार की रात भी नक्सलियों के साथ औरंगाबाद पुलिस की मुठभेड़ देव थाना क्षेत्र अंतर्गत देवाबिगहा- नारायणपुर गांव के पास हो चुकी थी। इसके बाबजूद नक्सली शनिवार की देर रात देव के सुदी बिगहा गांव में हमला करने में कामयाब हो गए। लोगों का मानना है कि पुलिस यदि सतर्क रहती तो नक्सली हमला नहीं कर पाते।

देव में शनिवार की देर रात नक्सलियों ने चार यात्री बस, तीन ट्रैक्टर, एक पिकअप वैन, एक मारुती ईको कार और दो बाइक को आग लगा कर जला दिया। वाहनों में लगी आग से पांच दुकानें जलकर राख हो गईं। इनमें एक मोटर पार्ट्स और एक फर्नीचर दुकान शामिल हैं। नक्सलियों ने गोलीबारी कर राजन सिंह के चाचा नरेंद्र सिंह की हत्या कर दी। घटनास्थल से बरामद नक्सली पर्चे में कहा गया है कि नोटबंदी के समय पांच करोड़ रुपया संगठन की ओर से बदलने और दो करोड़ रुपया लेवी नहीं देने के कारण घटना को अंजाम दिया गया है। उल्लेखनीय है कि करीब साढ़े नौ साल के बाद नक्सली देव प्रखंड मुख्यालय में घटना को अंजाम देने में सफल हुए हैं।2009 में नक्सलियों ने प्रखंड कार्यालय को विस्फोट कर उड़ा दिया था जिसके बाद नक्सलियों पर नकेल कसने के लिए प्रखंड मुख्यालय में अर्ध सैनिक बल की टुकड़ी की तैनाती की गई। विधान परिषद के सदस्य राजन सिंह का परिवार पहले से नक्सलियों के निशाने पर रहा है।इससे पहले राजन सिंह के गोतिया में भाई रहे अजित सिंह की हत्या नक्सली कर चुके हैं। यह भी सवाल उठ रहा है कि प्रखंड मुख्यालय में तैनात सीआरपीएफ की कयूआरटी (क्विक रिस्पांस टीम) और स्थानीय पुलिस को नक्सलियों के हमले के बाद घटनास्थल की ओर रवाना होने में कितना समय लगा? नक्सलियों के निशाने पर रहे विधान परिषद सदस्य राजन सिंह की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी प्रश्न उठ रहा है। मगध क्षेत्र के पुलिस उप महानिरीक्षक विनय कुमार ने बताया कि उन्हें एएसपी अभियान, औरंगाबाद से जानकारी दी गई है कि नक्सली हमला 9:20 बजे रात में हुआ। पुलिस और सीआरपीएफ की टीम 9: 40 बजे घटनास्थल पर पहुंच गई थी। एसपी डा. सत्य प्रकाश के अनुसार विधान परिषद के सदस्य को तय सुरक्षाकर्मियों के अतिरिक्त 1/4 की स्काट पार्टी औरंगाबाद आने पर उपलब्ध कराई जाती है।

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