लखनऊ। उ.प्र. माध्यमिक शिक्षक संघ के बैनर तले प्रदेश भर के 4500 विद्यालयों से एकजुट हुये शिक्षकों ने शिक्षा निदेशालय पर 20 सूत्रीय मांगों को लेकर धरना दिया। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश शर्मा ने शिक्षक विधायक एवं राज्य कार्यकारिणी के पदाधिकारियों के साथ 1 अक्टूबर को सामूहिक सत्याग्रह एवं जेल भरो आन्दोलन का ऐलान किया। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष एवं एमएलसी तथा दल के नेता ओम प्रकाश शर्मा ने धरने को सम्बोधित करते हुए कहा कि शिक्षकों का विनियमितीकरण सीटी संवर्ग को एलटी संवर्ग में आमेलित किये जाने के उपरान्त सीटी सेवाओं का लाभ उच्च न्यायालय द्वारा भी मान्य किये जाने के उपरान्त राज्य सरकार की हठधर्मी के कारण सम्भव नहीं हो पा रहा है। योग्य एवं समर्थ एलटी वेतनमान के वह शिक्षक जो स्नातकोत्तकर उपाधिधारी नहीं है, तर्कहीन आधार पर प्रोन्नत वेतनमान के अपने अधिकार से वंचित है। दिनांक 01 अप्रैल 200५ के पश्चात नियुक्त शिक्षकों को पेंशन का लाभ अभी तक अनुमन्य नहीं हुआ है। व्यवसायिक शिक्षा से सम्बन्धित अनुदेशक मात्र मानदेय पा रहे हैं, उन्हें मौलिक रूप से शिक्षक संवर्ग से वंचित रखा जा रहा है कौशल की अनिवार्यता अनुभव करते हुए भी कम्प्यूटर शिक्षा के लिए शिक्षकों के पद सृजित नहीं है। वित्त विहीन विद्यालयों के शिक्षक घोषित मानदेय की सतत् प्रतीक्षा में हैं उन्हें पूर्ण कालिक शिक्षक बनने की दिशा में भी कोई कदम नहीं उठाया गया है। प्रदेश भर के सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में 35 प्रतिशत से अधिक पद रिक्त हैं जिनके अभाव में विद्यालयों द्वारा बाध्य होकर पीटीए की वसूली करनी पड़ रही है और अंशकालिक शिक्षक पीटीए शिक्षक नाम से कार्य कर रहे हैं जिससे गुणवत्ता प्रभावित है। राज्य सरकार के मंत्री शिक्षा के सभी सिद्धान्तों और आदर्शों का उपहास करते हुए 4000 प्रतिमाह वाले शिक्षक से श्रेष्ठ काम लेने का प्रचार करके मानवीय शोषण का बढ़ावा दे रहे है। इसी प्रकार संगठन ने अपने मांग पत्र के माध्यम से सरकार को आन्दोलन की चेतावनी दी है और कहा है कि सरकार की उपेक्षापूर्ण नीति पूर्णतया असहनीय हो चली है और शिक्षक समुदाय आर-पार की लड़ाई के लिए तत्पर है। धरने में प्रदेश भर से आये भारी संख्या में शिक्षक विधायक एवं संगठन के पदाधिकारी कार्यकर्ता एवं शिक्षकगण मौजूद रहे।