दस्तक टाइम्स/एजेंसी: बच्चों को अच्छे-बुरे की उतनी समझ नहीं होती उन्हें तो सब अपने जैसे लगते हैं। प्लेग्राउंड में तरह- तरह के बच्चे खेलते दिखते हैं। उनमें आपको कुछ ऐसी बातें मिलती हैं, जो आपके बच्चे में नहीं हैं। जबकि आपका बच्चा खुद में यूनिक है। अपने बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों के साथ करने की बजाय इन बातों का रखिए ध्यान।
पहला, अपने बच्चे की कमजोरियों और ताकतों को समझने की कोशिश करिए। जब भी वे अपने किसी परेशानी के बारे में बताता है तो उसकी बात को पूरे पेशेंस के साथ सुनिए। बीच में ही लेक्चर देना शुरू मत करिए। उसका हौंसला बढ़ाने के लिए आप भी अपने बचपन की कोई बात उसे सुना सकते हैं। उसे बताएं कि जो कमजोरी उसकी है, वे और बहुत सारे लोगों की होती है। अपनी बात को बेहतर तरीके से समझाने के लिए किताबों और फिल्मों से कार्टून किरदारों की मदद ले सकते हैं।
दूसरा, बच्चों के साथ भी ब्रेनस्टॉर्मिंग सेशन लगाएं। जैसे उसे बताएं कि अच्छे बच्चों और अच्छी दोस्तों में किस तरह की आदतें होती हैं, जिन्हें वे खुद में अपना सकता है। उनके साथ रोल प्ले आदि कर सकते हैं, जिनसे बच्चों को वही फील मिले।
तीसरा, प्रैक्टिस करते रहिए। बच्चों में सोशलाइज़ करने की आदत डेवेलप करिए। जरूरी नहीं इसके लिए गार्डन में ही जाया जाए। बच्चों के लिए कुकिंग क्लास, विजिट टू अ ज़ू, फुटबॉल खेलना आदि एक्टिविटीज़ का आयोजन करिए। दूर खड़े होकर उन्हें मॉनिटर या सुपरवाइज़ करना छोड़ दीजिए। आपका बच्चा दूसरों से बात करने में झिझकता है, उसे दूसरों से बातचीत करने दीजिए। आपके ऐसा करने से बच्चे में भावनाएं बढ़ने लगेंगी और सोशन स्किल्स यानी समाज में दूसरे लोगों से मिलना-जुलना भी बढ़ेगा।
चौथा, रिव्यू करते रहिए। बच्चों की प्ले डेट या किचन एक्सपीरियंस के बाद उनसे उनके अनुभव जानने की कोशिश करिए। सोशन स्किल्स बिल्ड करने के लिए बच्चे ने जो भी कदम उठाएं हों, उनकी सराहना करिए। उसके फ्रेंडली बिहेवियर की तारीफ करिए। जैसे जब वे दोस्तों से बात करे या उनके साथ कोई चीज़ बांटे तो उसकी तारीफ करें। दोस्ते के रास्ते में आने वाली मुश्किलों पर चर्चा करिए और उनका हल निकलने के और भी क्रिएटिव तरीके तलाशिए।
चौथा, रिव्यू करते रहिए। बच्चों की प्ले डेट या किचन एक्सपीरियंस के बाद उनसे उनके अनुभव जानने की कोशिश करिए। सोशन स्किल्स बिल्ड करने के लिए बच्चे ने जो भी कदम उठाएं हों, उनकी सराहना करिए। उसके फ्रेंडली बिहेवियर की तारीफ करिए। जैसे जब वे दोस्तों से बात करे या उनके साथ कोई चीज़ बांटे तो उसकी तारीफ करें। दोस्ते के रास्ते में आने वाली मुश्किलों पर चर्चा करिए और उनका हल निकलने के और भी क्रिएटिव तरीके तलाशिए।