नई दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में जीएसटी अधिकारियों ने 7 हजार 896 करोड़ रुपये के नकली चालान के रैकेट का भंडाफोड़ किया है. वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि पश्चिमी दिल्ली के आयुक्त कार्यालय की केंद्रीय जीएसटी अधिकारियों ने 7,896 करोड़ रुपये के नकली चालान बनाने वाले एक बड़े रैकेट का पर्दाफाश किया है. रैकेट इसके लिए 23 फर्जी कंपनियों के नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहा था. इन कंपनियों ने माल की आपूर्ति किए बिना चालान बनाए और इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ लिया. वित्त मंत्रालय की विज्ञप्ति के मुताबिक इस संबंध में 29 फरवरी को दो लोगों को गिरफ्तार किया गया और उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. बयान के अनुसार, इनपुट टैक्स क्रेडिट का असली दिखाने के लिए बैंकिंग ट्रांजैक्शन का भी इस्तेमाल करते थे. ये कंपनियां बॉयर्स को फेक इनवॉयस जारी करती थी, जो बिना चालान की वास्तविक सप्लाई के फर्जी तरीके से इनपुट टैक्स क्रेडिट हासिल करते थे. इस तरह सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाते थे. इससे पहले, दिल्ली में माल एवं सेवाकर अधिकारियों ने फर्जी बिल जारी कर धोखाधड़ी के मामले में 3 लोगों को गिरफ्तार किया है. जानकारी के अनुसार, इन लोगों पर 17 फर्जी कंपनियां बनाकर 436 करोड़ रुपये का माल खरीदने-बेचने के लिए फर्जी बिलों पर कर लाभ लेने का आरोप है.
आधिकारिक बयान के अनुसार, केन्द्रीय जीएसटी दिल्ली पूर्व आयुक्तालय के अधिकारियों ने इस मामले का पता लगाया है. उनके मुताबिक, इन कंपनियों ने फर्जी तरीके से इनपुट टैक्स क्रेडिट के तहत 11.55 करोड़ रुपये के कर रिफंड का दावा किया था. कागजों पर हैं ये कंपनियांइस मामले में संलिप्त बैंक कर्मचारियों की भी जांच की जा रही है. जांच में पता चला है कि 17 कंपनियां केवल कागजों पर ही हैं. ये कंपनियां केवल फर्जी बिल जारी करती हैं, ताकि उन पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का लाभ हासिल किया जा सके. इस मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. इसमें असिफ खान, राजीव छटवाल और अर्जुन शर्मा का नाम शामिल है.