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अब टॉप 330 लिस्टेड कंपनियों को करनी होगी एक स्वतंत्र महिला निदेशक की नियुक्ति

नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर लिस्टेड टॉप 1,000 कंपनियों में से लगभग 33 पर्सेंट को अपने बोर्ड में एक वुमन इंडिपेंडेंट डायरेक्टर की नियुक्ति करनी होगी। कंपनियों के बोर्ड में कम से कम एक स्वतंत्र महिला निदेशक होने की कोटक कमिटी की सिफारिश को मार्केट रेगुलेटर सेबी ने स्वीकार करने का फैसला किया है। इसी वजह से कंपनियों को अपने बोर्ड में वुमन डायरेक्टर को शामिल करना होगा।टॉप 330 लिस्टेड कंपनियों को करनी होगी एक स्वतंत्र महिला निदेशक की नियुक्ति

प्राइसबेस के डेटा से पता चलता है कि मार्केट कैपिटलाइजेशन के लिहाज से एनएसई की टॉप 1,000 कंपनियों में से 336 को 1 अप्रैल, 2020 तक एक वुमन इंडिपेंडेंट डायरेक्टर को नियुक्त करना होगा। एनएसई पर लिस्टेड टॉप 500 कंपनियों में से 155 को 1 अप्रैल, 2019 तक यह कदम उठाना होगा। कॉरपोरेट गवर्नेंस के एक्सपर्ट्स जेंडर डायवर्सिटी को सुनिश्चित करने और बोर्ड में दो वुमन डायरेक्टर्स को रखने को प्रोत्साहन देने की दिशा में इसे एक सकारात्मक कदम के तौर पर देख रहे हैं। 

रेटिंग एजेंसी इकरा के चेयरमैन, अरुण दुग्गल ने कहा, ‘बोर्ड लेवल पर जेंडर बैलेंस में सुधार करने के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे अगले 12 महीनों में इंडिपेंडेंट वुमन डायरेक्टर्स के लिए कम से कम 100 और बोर्ड पोजिशन बन सकती हैं। अब हम 2020 से कम से कम दो वुमन डायरेक्टर्स के लिए अभियान चलाने जा रहे हैं।’ दुग्गल कंपनियों के बोर्ड के लिए महिलाओं को तैयार करने वाले ‘वुमन ऑन कॉरपोरेट बोर्ड्स मेंटरशिप प्रोग्राम’ के को-फाउंडर भी हैं। इस प्रोग्राम से निकली लगभग 100 महिलाएं बोर्ड पोजिशंस पर काम कर रही हैं। 

उदय कोटक की अगुवाई वाली सेबी की कॉरपोरेट गवर्नेंस कमिटी ने सभी लिस्टेड कंपनियों में कम से कम एक इंडिपेंडेंट वुमन डायरेक्टर को शामिल करने का सुझाव दिया था। सेबी के बोर्ड ने कुछ बदलाव के साथ बुधवार को इस सुझाव को स्वीकार कर लिया। इससे पहले 2013 के कंपनीज ऐक्ट में एक विशेष वर्ग की कंपनियों के लिए कम से कम एक वुमन डायरेक्टर रखना अनिवार्य किया था। सेबी ने कंपनीज ऐक्ट 2013 के अनुसार अक्टूबर 2014 से बोर्ड में कम से कम एक महिला को शामिल करना अनिवार्य कर दिया था। इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए बहुत सी कंपनियों ने अपनी प्रमोटर फैमिली से एक महिला सदस्य को बोर्ड में शामिल किया था। 

इसके बाद ऐसी राय बनी थी कि जेंडर डायवर्सिटी को अनिवार्य करने के साथ ‘इंडिपेंडेंट’ शब्द पर भी ध्यान देने की जरूरत है, जिससे प्रमोटर फैमिली के बाहर से वुमेन डायरेक्टर को शामिल किया जाए और यह केवल एक खानापूर्ति न रहे। ऑडिट एंड अकाउंटिंग फर्म हरिभक्ति ऐंड कंपनी के चेयरमैन, शैलेश हरिभक्ति ने कहा, ‘इससे कंपनियों को बोर्ड में कम से कम दो वुमन डायरेक्टर्स को लाने का प्रोत्साहन मिलेगा। इससे बोर्ड का माहौल भी अधिक पॉजिटिव बनेगा। 

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