अद्धयात्म

नवरात्रि 13 से, सरकारों के गिरने का संकेत दे रहा है देवी का अश्व पर आगमन

durga_arrival_horse1-228x300 (1)शारदीय नवरात्रि इस बार 13 अक्टूबर से शुरू हो रहे हैं। देवी का इस बार आगमन अश्व पर व गमन गज पर है। देवी का अश्व पर आगमन छत्र भंग अर्थात राजा या शासक का सत्ता भंग का संकेत दे रहा है। इसे राजाओं या शासकों में युद्ध के संकेत के रूप में भी देखा जाता है। जबकि देवी का गज पर गमन शुभ शांति समृद्धि के साथ अच्छी वर्षा का योग बना रहा है।

देवी का अश्व पर आगमन राजा के लिए नहीं है अच्छा

इस वर्ष देवी का आगमन अश्व पर हो रहा है जोकि राजा के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। कहा गया है कि

दिनशशि सूर्य गजरुढा शनिभौमै तुरंगमे।
गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता॥
गजेश जलदा देवी क्षत्रभंग तुरंगमे।
नौकायां कार्यसिद्धिस्यात् दोलायों मरणधु्रवम्॥

रविवार और सोमवार को भगवती हाथी पर आती हैं, शनि और मंगल वार को घोड़े पर,
बृहस्पति और शुक्रवार को डोला पर, बुधवार को नाव पर आती हैं। दुर्गा के हाथी पर आने से अच्छी वर्षा होती है, घोड़े पर आने से राजाओं में युद्ध होता है।
नाव पर आने से सब कार्यों में सिद्ध मिलती है और यदि डोले पर आती है तो उस वर्ष में अनेक कारणों से बहुत लोगों की मृत्यु होती है।

मारकण्डेय पुराण के अनुसार देवी यदि अश्व पर आती हैं तो शासकों की नीतियों से आम जनों को कष्ट, राज्य भय, महंगाई में सतत वृद्धि और प्रजाजनों में असंतोष पैदा होता है। इससे संकेत केन्द्र या प्रदेश की सरकारों के संकटग्रस्त होने की ओर है। हालांकि अभी के हालात देखकर दूर दूर तक ऐसी कोई संभावना नहीं लग रही है, लेकिन नवरात्रि के इन संकेतों से उत्पन्न स्थितियों का प्रभाव अगले छह माह तक रहेगा। महिलाओं के प्रति अपराध भी बढ़ सकते हैं।


देवी का प्रस्थान हाथी पर होने से होगी ज्यादा वर्षा

 शशि सूर्य दिने यदि सा विजया महिषागमने रुज शोककरा,
शनि भौमदिने यदि सा विजया चरणायुध यानि करी विकला।
बुधशुक्र दिने यदि सा विजया गजवाहन गा शुभ वृष्टिकरा,
सुरराजगुरौ यदि सा विजया नरवाहन गा शुभ सौख्य करा॥

भगवती रविवार और सोमवार को महिषा (भैंसा) की सवारी से जाती है तो देश में रोग और शोक की वृद्धि होती है। शनि और मंगल को चरणायुध पर जाती हैं जिससे विकलता की वृद्धि होती है। बुध और शुक्र दिन में भगवती हाथी पर जाती हैं। इससे वृष्टि (बारिश) वृद्धि होती है। बृहस्पति वार को भगवती मनुष्य की सवारी से जाती हैं। जो सुख और सौख्य की वृद्धि करती है।

कुल मिलाकर प्रेम और भक्ति पूर्वक मां की आराधना को तैयार हो जाएं। मां अपने पुत्रों का कभी अहित नहीं करती है।

 

 

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