नागरिकता कानून पर आज राष्ट्रपति से मुलाकात करेगा विपक्ष…
नागरिकता संशोधन कानून को लेकर विपक्ष लगातार केंद्र सरकार पर हमला कर रहा है। विपक्ष दावा कर रहा है कि यह कानून सांप्रदायिक है और सरकार को इसे वापस लेना चाहिए। कई राज्यों में इसके विरोध में हिंसा भी हो रही है। वहीं आज विपक्ष का एक प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति से मुलाकात करेगा। वह उन्हें देश की वर्तमान परिस्थितियों से अवगत कराएगा। हालांकि इस प्रतिनिधिमंडल से शिवसेना ने दूरी बना ली है। जबकि पहले कहा जा रहा था शिवसेना इसका हिस्सा है। नागरिकता कानून को लेकर राष्ट्रपति से आज शाम को विपक्षी दल के प्रमुख नेता मुलाकात करेंगे। इस कानून के खिलाफ रविवार को दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया में हिंसक प्रदर्शन हुए। जिसमें सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचा गया और पुलिस ने छात्रों पर लाठीचार्ज किया। विपक्ष की राष्ट्रपति से मुलाकात से अपनी पार्टी को अलग करते हुए शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत का कहना है कि मुझे इस बारे में नहीं पता।
उन्होंने कहा, ‘मुझे इस बारे में कुछ नहीं पता है। शिवसेना इस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा नहीं है।’ वहीं जब उनसे पूछा गया कि क्या महाराष्ट्र में नागरिकता कानून को लागू किया जाएगा तो उन्होंने कहा, ‘हमारे मुख्यमंत्री (उद्धव ठाकरे) इसपर कैबिनेट बैठक में फैसला लेंगे।’
क्या है नागरिकता कानून
नागरिकता अधिनियम 1955 में नागरिकता संशोधन कानून 2019 के तहत कुछ अनुबंध जोड़ दिए गए हैं।
इसके तहत 31 दिसंबर 2014 या उससे पहले भारत आए बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के उन छह अल्पसंख्यक समुदायों (हिंदू, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई और सिख) को, जिन्हें अपने देश में धार्मिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है, उन्हें गैरकानूनी नहीं माना जाएगा। बल्कि भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान किया जाएगा।
-संशोधन से पहले इस कानून के अनुसार किसी भी व्यक्ति को भारतीय नागरिकता लेने के लिए कम से कम 11 साल भारत में रहना अनिवार्य था।
-संशोधित कानून में जिन तीन पड़ोसी देशों के छह अल्पसंख्यकों की बात की गई है, उनके लिए यह समयावधि 11 से घटाकर 6 साल कर दी गई है।
-साथ ही नागरिकता अधिनियम, 1955 में ऐसे संशोधन भी किए गए हैं कि इन लोगों को नागरिकता देने के लिए उनकी कानूनी मदद की जा सके।
-नागरिकता अधिनियम, 1955 में पहले भारत में अवैध तरीके से दाखिल होने वाले लोगों को नागरिकता नहीं देने और उन्हें वापस उनके देश भेजने या हिरासत में रखने के प्रावधान था।