नि:संतान दंपतियों को स्वस्थ संतान का सुख देने वाली ये नई तकनीक हो रही ज्यादा सफल
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इस तकनीक में एक या दो स्वस्थ भू्रण स्थानांतरित किए जाते हैं और इस तरह से तीन या अधिक बच्चे के जन्म की संभावना खत्म हो जाती है।
प्रजनन उपचार यानी आईवीएफ के संदर्भ में आम लोगों की धारणा यह है कि इसमें एक से अधिक बच्चों के जन्म की आशंका अधिक रहती है। आईवीेएफ में तीन बच्चे या अधिक बच्चों के जन्म होने की आशंका प्रजनन विशेषज्ञों और मरीजों के लिए चिंता का विषय है, लेकिन अब एक नयी तकनीक न केवल ज्यादा से ज्यादा नि:संतान दंपतियों को एक स्वस्थ संतान का सुख दे रही है बल्कि इसके कारण जच्चा-बच्चा की मौत की आशंका भी कम हो रही है। नयी तकनीक को ब्लास्टोसिस्ट ट्रांसफर कहा जाता है।
तकनीक की विशेषताएं:
- ब्लास्टोसिस्ट ट्रांसफर की मदद से सर्वाधिक स्वस्थ भ्रूण को स्थानांतरित किया जाता है और इसके साथ ही
गर्भावस्था की अधिकतम संभावना को बरकरार रखा जाता है। - यह तकनीक एक साथ तीन या अधिक शिशुओं के जन्म की आशंका को पूरी तरह से खत्म कर देती है।
- इस तकनीक में प्रजनन विशेषज्ञों के पास सर्वश्रेष्ठ भ्रूणों का चयन करने का भी मौका मिलता है।
- यह तकनीक सबसे शक्तिशाली के जीवित रहने की धारणा (सर्वाइवल ऑफ दि फिटेस्ट) पर आधारित है। इस तरह से जो सबसे अधिक शक्तिशाली भ्रूण होता है, वह अंतिम स्थिति तक जीवित रहता है। इस स्थिति में सबसे स्वस्थ और शक्तिशाली भ्रूण को शरीर में सामान्य रूप से प्रत्यारोपित कर दिया जाता है।
परंपरागत प्रक्रिया के नकारात्मक पहलू : इन विट्रो फर्टिलाजेशन (आईवीएफ) प्रक्रिया के अंतर्गत परंपरागत ब्लास्टोसिस्ट रहित तरीके में महिला के अंडाणु को प्राप्त करके उसे निषेचित (फर्टिलाइज्ड) किया जाता है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो, भ्रूण को तीन दिन बाद गर्भाशय में स्थानांतरित कर दिया जाता है। तीसरे दिन यह पता
लगाना मुश्किल होता है कि कौन सा भ्रूण गर्भाधान उत्पन्न करेगा, ऐसे में आम तौर पर इस उम्मीद में चार या अधिक भ्रूण स्थानांतरित कर दिये जाते हैं कि कम से कम एक भ्रूण से शिशु का जन्म होगा। अब तक इसे गर्भधारण की स्वीकार्य संभावना को हासिल करने के लिए एक स्वीकार्य तरीका माना जाता रहा है।
इस प्रक्रिया का नकारात्मक पहलू यह है कि कई बार सभी भ्रूण गर्भधारण की स्थिति पैदा करते हैं और इसके परिणामस्वरूप एक साथ तीन या अधिक बच्चे का जन्म होता है।