अगरतला । ओएनजीसी द्वारा गैस आपूर्ति में विलंब के कारण पूर्वोत्तर भारत में नॉर्थ इस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉरपोशन (नेप्को) की दूसरी सबसे बड़ी ताप विद्युत परियोजना की शुरुआत में विलंब होने से हर महीने पांच करोड़ का नुकसान हो रहा है। कंपनी के एक शीर्ष अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी। नेप्को के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक पी.सी. पंकज ने संवाददाताओं से कहा ‘‘बिजली परियोजना की शुरुआत हम पिछले साल सितंबर में ही कर देते लेकिन समझौते के अनुरूप ओएनजीसी गैस सप्लाई नहीं कर रहा और बार-बार आश्वासन दे रहा है।’’ परियोजना में विलंब के कारण नेप्को हर महीने 5 करोड़ का नुकसान झेल रहा है। पंकज ने कहा ‘‘गैस आपूर्ति पर ओएनजीसी द्वारा हाल में किए वादे से हम आशा कर रहे हैं कि मोनारचक बिजली संयंत्र से हम इस साल दिसंबर से बिजली उत्पादन शुरू कर देंगे।’’पंकज के अनुसार मिनी रत्न कंपनी नेप्को 21 जून को राज्य के मौजूदा तीन विद्युत संयंत्रों से 7० मेगावाट अतिरिक्त बिजली उत्पादन के लिए त्रिपुरा सरकार के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करेगा। उन्होंने कहा ‘‘मौजूदा तीन विद्युत संयंत्रों से बिजली उत्पादन को बढ़ाने में करीब 3.2० करोड़ रुपये का खर्च आएगा जिसे नेप्को और त्रिपुरा सरकार द्वारा साझे रूप से वहन किया जाएगा।’’ 9.5० अरब रुपये की लागत से बना 1०4 मेगावाट बिजली संयंत्र पश्चिमी त्रिपुरा के मोनारचक में है जो त्रिपुरा की राजधानी अगरतला से 7० किलोमीटर दक्षिण और भारत-बांग्लादेश की सीमा से आठ किलोमीटर दूर है। नेप्को के महाप्रबंधक (विद्युत) एस.आर. विश्वास ने कहा सन् 2००० में 5०० मेगावाट की क्षमता वाले मोनारचक बिजली संयंत्र की उत्पादन क्षमता 2००3-०4 में ओएनजीसी द्वारा गैस आवंटन आधी कर देने की वजह से घटकर 28० मेगावाट हो गई। परियोजना प्रमुख विश्वास ने कहा ‘‘2००8 में ओएनजीसी ने गैस आवंटन में फिर कटौती कर दी और इस वजह से परियोजना की संस्थापित क्षमता नीचे आकर 1०1 मेगावाट हो गई।’’ संयंत्र की टरबाइन अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक ने डिजाइन की थी। भाप टरबाइन से 39 मेगावाट बिजली और गैस टरबाइन से 62 मेगावाट बिजली उत्पादन के लक्ष्य से टरबाइनों की आपूर्ति भारत हैवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड द्वारा की गई थी। मेघालय की राजधानी शिलांग स्थित नेप्को का मुख्यालय अगले पांच सालों में सौर उर्जा और पवन उर्जा से 1 5०० मेगावाट बिजली के उत्पादन की योजना बना रहा है।