नोटबंदीः फायदा `अठन्नी`, परेशानी `रुपैया`!
अहमदाबाद: 500 और 1,000 रुपये के नोटों को अमान्य करार दिए जाने के बाद आम आदमी बड़े पैमाने पर संकट से जूझ रहा है। साथ ही, आर्थिक नुकसान भी हो रहा है। वहीं, केंद्र सरकार के इस कदम को इस मायने में सकारात्मक बताया जा रहा है कि इससे न केवल काले धन का पता चलेगा बल्कि इसका खात्मा भी होगा। नवंबर में जारी सरकारी अधिसूचना में इस मकसद का जिक्र भी है। इसके साथ ही, अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहे और आंतकवादियों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे जाली नोटों को बर्बाद करने का भी लक्ष्य है।
देश लगातार 12 दिनों से कैश की कमी से जूझ रहा है। ऐसे में सवाल उठते हैं कि क्या ये मकसद पूरा हो पाएंगे? अगर नहीं तो क्या ये सारे कष्ट बेकार चले जाएंगे? हालांकि, काले धन का कोई सही आंकड़ा तो नहीं है, लेकिन यह अर्थव्यवस्था के 20 से 66% तक हो सकता है। यानी, 27 से 90 लाख करोड़ रुपये के बीच। तो क्या नोटबंदी के बाद इस सारे काले धन का पता लग जाएगा?