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पंजाब चुनाव 2017: सुखबीर बोले, अवसरवादी व राष्ट्र विरोधी हैं केजरीवाल

पंजाब विधानसभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल के प्रधान व उपमुख्‍यमंत्री सुखबीर बादल एक बार फिर जीत के प्रति अाश्‍वत हैं। उनका दावा है कि अकाली-भाजपा गठबंधन चुनाव में हैट्रिक लगाएगा।

चंडीगढ़। लगातार तीसरी बार पंजाब में अकाली-भाजपा गठबंधन की सरकार बनाने के लिए 54 साल के सुखबीर सिंह बादल बदली रणनीति के साथ एक बार फिर मैदान में डटे हैं। पंजाब में कांग्रेस और अकाली-भाजपा गठबंधन के बीच अब तक होते रहे पारंपरिक सीधे मुकाबले की बजाय इस मर्तबा त्रिकोणीय मुकाबले के कारण उन्हें अपनी रणनीति में बदलाव करना पड़ा है।

पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए मतदान में एक दिन बच गया है। बीते एक दशक में पंजाब व सिख राजनीति में अहम मुकाम हासिल कर चुके सुखबीर बादल ने सत्ता विरोधी लहर के बावजूद 2012 में बेहतर चुनाव प्रबंधन के जरिए गठबंधन को लगातार दूसरी बार जीत दिलाई थी। इस बार कांग्रेस के साथ-साथ आम आदमी पार्टी के भी मैदान में होने के कारण मुकाबला चाहे कुछ कड़ा है,लेकिन सुखबीर गठजोड़ की जीत को लेकर पूरी तरह से आशान्वित नजर आते हैं।

 

गठजोड़ के उम्मीदवारों के हक में प्रचार करते हुए वह करीब सभी हलकों को कवर कर चुके हैं। पंजाब में सरप्लस बिजली का दावा करने के साथ ही सुखबीर को पूरी उम्मीद है कि विकास व तरक्की की रफ्तार को बरकरार रखने के लिए जनता एक बार फिर अकाली-भाजपा गठजोड़ पर भरोसा जताएगी। चुनावी व्यस्तता के बीच सुखबीर के हलके जलालाबाद में राजनीतिक हालात व चुनावी माहौल पर विस्तार से बात हुई। पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश-

आप पिछले चुनाव के मुकाबले इस चुनाव को कितना अलग पाते हैं?

इस बार हमारे वर्करों में कहीं ज्यादा जोश है। पिछली बार मिली जीत के बाद उन्होंने सूबे में हुआ विकास देखा है। न केवल हम बल्कि हमारे कार्यकर्ता भी जीत के प्रति पूरी तरह आश्वस्त हैं। लोग जानते हैं कि चाहे सरप्लस बिजली हो, फोर-सिक्स लेन रोड नेटवर्क हो या फिर इंटरनेशनल एयरपोर्ट आदि, हमने जो कहा वह कर के दिखाया। इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में जितना काम हुआ है, उतना कभी नहीं हुआ।

पंजाब की जनता अकाली दल को वोट क्यों दे?

तरक्की, खुशहाली, अमन-शांति और हर धर्म के सत्कार के कारण जनता हमें वोट देगी। आप पूरे पंजाब में घूम कर पिछले दस साल में हुआ ऐतिहासिक विकास देख सकते हैं। चाहे बॉर्डर बेल्ट ही क्यों न हो, एक भी कोना ऐसा नहीं है, जहां विकास नजर न आता हो। दूसरी ओर, मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने हिंदू-सिख एकता को बरकरार रखते हुए पंजाब में अमन-शांति बनाए रखी है। एक और बात, मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा स्कीम के तहत प्रमुख धार्मिक व तीर्थ स्थानों की यात्रा जरूरतमंद लोगों को कराई गई है। इससे बादल साहब की हर धर्म के सत्कार की सोच का पता चलता है।


कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में क्या अंतर आपको लगता है?

कांग्रेस एक खत्म हो चुकी पार्टी है। इस चुनाव के बाद पंजाब में कांग्रेस का कोई नाम लेने वाला भी नहीं बचेगा। इस पार्टी की कोई विचारधारा नहीं है। ऊपर से पार्टी में नेतृत्व का संकट भी है। जहां तक आम आदमी पार्टी की बात है, यह गर्मपंथी और नक्सलियों से मिली हुई है। यह पार्टी आतंकवादी सोच के साथ चल रही है। इन्होंने गर्मख्याली लोगों के सरबत खालसा का भी साथ दिया था।

केजरीवाल के व्यक्तित्व को कैसा मानते हैं?

अरविंद केजरीवाल बेहद अवसरवादी और राष्ट्र विरोधी व्यक्ति हैं। पंजाब की सत्ता के लिए वह आतंकवादियों, कट्टरपंथियों और देश विरोधी ताकतों के साथ हाथ मिलाने से भी पीछे नहीं हटेंगे। हाल ही में मोगा में एक खालिस्तानी आतंकवादी के घर में रात गुजारने से केजरीवाल का इरादा स्पष्ट हो गया है। उन्हें पंजाब से कुछ लेना-देना नहीं। आप एक बात मानिए कि मुझे किसी दूसरे राज्य से इतना लगाव नहीं हो सकता, जितना पंजाब से, यह हर आदमी की मानसिकता होती है। इसी तरह हरियाणा में पैदा हुए और अब दिल्ली में रहते केजरीवाल को पंजाब से कोई लगाव नहीं हो सकता। वह केवल गर्मपंथी ताकतों के साथ मिलकर पंजाब की सत्ता चाहते हैं, ताकि इस सीमावर्ती राज्य का माहौल बिगाड़ सकें।


मौड़ मंडी में बम ब्लास्ट के बारे में क्या कहेंगे?

यह आतंकी घटना थी, जिसमें छह निर्दोष लोग मारे गए। आतंकी संगठन एक बार फिर उसी राह पर चल पड़े हैं, जिससे पंजाब को अकाली-भाजपा ने निकाला था। मुझे पूरा यकीन है कि आम आदमी पार्टी ने यह बड़ी साजिश रची थी। जांच चल रही है और जल्द ही सभी दोषी गिरफ्त में होंगे। हमारे किसी के साथ कितने भी राजनीतिक मतभेद हों, लेकिन इस तरह की चुनावी हिंसा की किसी को इजाजत नहीं दी जा सकती। सरकार किसी दोषी को बख्शेगी नहीं और ऐसी ताकतों को मुंहतोड़ जवाब देगी।

आप कई बार यह कह चुके हैं कि आम आदमी पार्टी का सत्ता में आना पंजाब की बर्बादी होगा, ऐसा क्यों?

दिल्ली की इस पार्टी ने अब तक यहां अपना सीएम पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। वैसे तो आप के सत्ता में आने की कोई गुंजाइश नहीं है, लेकिन केजरीवाल चाहते हैं कि यहां के सीएम बनें। वह दिल्ली की तरह ही यहां आकर भी केंद्र सरकार के साथ टकराव बढ़ाएंगे। यदि केंद्र ने हाथ खींच लिया, तो किसानों की फसल तक उठाने में दिक्कत आएगी, विकास के लिए फंड नहीं मिलेगा। मौजूदा सिस्टम में केंद्र के साथ टकराव करके कोई राज्य तरक्की नहीं कर सकता। इतना ही नहीं, आम आदमी पार्टी जैसे लोगों को अपने साथ जोड़ रही है, उसके कारण यहां हालात बिगड़ने में भी देर नहीं लगेगी।

आम आदमी पार्टी के प्रति युवाओं का ज्यादा झुकाव क्यों है?

ऐसा नहीं है, हमारे साथ भी युवा हैं, हमारी रैलियों में सबसे ज्यादा युवा आते हैं। युवाओं के आप के प्रति झुकाव की केवल एक गलत धारणा है, जो यह पार्टी फैला रही है। जानबूझ कर ऐसा प्रोपेगेंडा किया जा रहा है कि उसके ही साथ यूथ जुड़ रहा है, जबकि युवा हर पार्टी के साथ खड़ा होता है।

मनप्रीत बादल पीपीपी के बाद अब कांग्रेस में चले गए हैं। उनके अकाली दल से अलग होने के पीछे क्या कारण था?

अकाली दल से अलग होने के पीछे उसकी हताशा व निराशा थी। बादल साहब ने उसे न केवल अपना विधानसभा हलका दिया, बल्कि सरकार में मंत्री और पार्टी में पूरा मान-सम्मान दिया, मगर वह दिशाहीन और अति महत्वाकांक्षी निकला।

आप अकाली-भाजपा के फिर सत्ता में आने का दावा करते हैं, तो कांग्रेस और आप को कितनी सीटें मिलेंगी?

आम आदमी पार्टी अधिकतम 10 और कांग्रेस 25-30 से ज्यादा सीटें नहीं जीत पाएगी।

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