घटनाक्रम से वाकिफ पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने अपनी पहचान गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि पार्टी कार्यकत्र्ताओं की जोरदार मांग है कि प्रियंका गांधी को एकबड़ी भूमिका सौंपी जाए। इस बात की संभावना नहीं है कि वह इस बार कोई आधिकारिक पद ग्रहण करेंगी या फिर चुनावी राज्य में प्रचार का चेहरा होंगी मगर हां, वह उत्तर प्रदेश के और अधिक क्षेत्रों में प्रचार करेंगी तथा पंजाब में भी प्रचार के लिए जा रही हैं। उनके समर्थकों का मानना है कि एक अतिरिक्त गांधी होने से कार्यकत्र्ताओं का मनोबल बढ़ेगा, एक ऐसे समय में जब पार्टी अपने राजनीतिक भविष्य की ओर देख रही है।
विशेषकर उत्तर प्रदेश, पंजाब तथा उत्तराखंड के विधानसभा चुनावों को लेकर। 16वें आम चुनावों में पार्टी को पंजाब में 13 में से केवल 4 सीटें मिलीं जबकि उत्तर प्रदेश में 80 में से केवल 2। उत्तराखंड में इसे 5 लोकसभा सीटें हासिल करने के लिए संघर्ष करना पड़ा। सोनिया गांधी की बेटी प्रियंका के पास पार्टी में कोई आधिकारिक पद नहीं है मगर लोकसभा चुनावों में उन्होंने रायबरेली में अपनी मां तथा अमेठी में अपने भाई एवं पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी के प्रचार अभियान का सक्रियतापूर्वक प्रबंधन किया। यदि वह पंजाब में प्रचार करती हैं तो ऐसा पहली बार होगा कि वह ङ्क्षहदी भाषी क्षेत्रों से बाहर क्रियाशील होंगी। इससे पार्टी में उनकी बड़ी भूमिका के लिए रास्ता खुलेगा।
इससे पहले पंजाब में ‘कांग्रेस का चेहरा’ कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने इसी माह कहा था कि प्रियंका भीड़ खींचने वाली हैं और सभी उन्हें पसंद करते हैं तथा वह उन्हें आने वाले चुनावों में प्रचार के लिए आमंत्रित करेंगे।
पंजाब के एक वरिष्ठ पार्टी नेता ने इस बात की पुष्टि की कि वह पंजाब तथा कैप्टन के लिए प्रचार करेंगी। हालांकि वह बड़े पैमाने पर राज्य का दौरा नहीं करेंगी मगर एक प्रमुख प्रचारक होंगी। प्रस्ताव काफी समय से उनके सामने है मगर उन्होंने अभी तक कोई उत्सुकता नहीं दिखाई। संभवत: सोनिया गांधी उन्हें व्यापक प्रचार के लिए मना रही हैं। जब से कांग्रेस को आम चुनावों तथा उसके बाद होने वाले विधानसभा चुनावों में शर्मनाक पराजयों का सामना करना पड़ा है, पार्टी समर्थक लगातार ‘प्रियंका को लाओ’ का राग अलाप रहे हैं। हालांकि कुछ भीतरी लोग तर्क देते हैं कि इसके कुछ विपरीत प्रभाव भी हो सकते हैं, विशेषकर गांधी भाई-बहन के समर्थकों के बीच विभाजन हो सकता है।