नई दिल्ली। अगले महीने की चार तारीख को जब आरबीआई के डिप्टी गवर्नर उर्जित पटेल गवर्नर का काम संभालेंगे तो उनके सामने राजन के अधूरे एजेंडे को पूरा करने की चुनौती होगी। राजन ने अपने तीन वर्ष के कार्यकाल में रिजर्व बैंक के कामकाज में कई बदलावों की शुरुआत की है, लेकिन इनमें से कई अभी अधूरे हैं।
फंड की कमी व फंसे कर्जे (एनपीए) की समस्या से जूझते सरकारी बैंको को नई राह सुझाने से लेकर बैंकों की ग्राहक सेवा संबंधी गुणवत्ता के स्तर को सुधारने जैसे दर्जनों काम हैं, जिन्हें पटेल को करना होगा।
इसी तरह से पटेल की अगुआई में यूनीवर्सल बैंक लाइसेंस देने का काम भी होगा और देश में एक मजबूत ऋण बाजार (डेट मार्केट) स्थापित करने की प्रक्रिया भी तेज की जानी है। कहने की जरूरत नहीं कि नए आरबीआई गवर्नर के सामने चुनौतियां बेशुमार होंगी।
यह है अधूरा एजेंडा
1. फंसे कर्ज की समस्या पर काबू पाने की प्रक्रिया तेज करना
2. फंड की समस्या से जूझ रहे सरकारी बैंकों की दिक्कतें दूर करना
3. बैंकों को पूंजी जुटाने के लिए अन्य संसाधन मुहैया कराना
4. देश में एक मजबूत ऋण बाजार को विकसित करना
5. कस्टोडियन बैंक और यूनीवर्सल बैंक का लाइसेंस देना
6. हर भारतीय को तमाम वित्तीय सेवा घर बैठे उपलब्ध कराना
7. मोबाइल बैंकिंग को आम जनता की पहुंच में लाना
8. बैंकों की ग्राहक सेवा की गुणवत्ता में भारी सुधार करना
9. देश में नए पेमेंट बैंक और स्मॉल बैंक स्थापित करना
एनपीए से निपटने का काम
जून, 2016 को समाप्त तिमाही के आंकड़े बताते हैं कि सरकारी बैंकों के एनपीए में 90 फीसद की वृद्धि हुई है। सभी सरकारी बैंकों के फंसे कर्ज की राशि 6,29,774 करोड़ रुपये हो गई है। साफ है कि एनपीए खत्म करने का काम अभी पूरा होने से बहुत दूर है।
आरबीआई गवर्नर राजन की कोशिशों की वजह से अब बैंक एनपीए की समस्या को जानबूझ कर नहीं छिपा सकते हैं, लेकिन नए गवर्नर को ऐसा तंत्र स्थापित करना होगा कि बैंकों में यह व्यवस्था हमेशा बनी रहे। पटेल बतौर डिप्टी गवर्नर कई बार यह चुके हैं कि एनपीए (नॉन परफॉरमिंग असेट्स) की स्थिति बहुत चिंताजनक है।
एनपीए ने सरकारी बैंकों की खस्ताहाल स्थिति को और बिगाड़ा है। अधिकांश सरकारी बैंक घाटे में हैं और अगले साल ही ये मुनाफे में आ पाएंगे। वर्ष 2015-16 में इन बैंकों को 18 हजार करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। जून, 2016 में आरबीआई ने बैंकों को कर्ज वसूली के कुछ नए अधिकार दिए हैं, लेकिन इससे सफलता मिलती है या नहीं, इसमें शक ही है।
केंद्र सरकार की तरफ से बैंकों को नए कानूनी अधिकार दिए गए हैं। यह सारा काम आरबीआई की निगरानी में होगा। देखना होगा कि नए गवर्नर पटले इस बारे में नई सोच क्या दिखाते हैं।
ग्राहक सेवा को लेकर ठोस कदम उठाना
ग्राहक सेवा उर्जित पटेल का सबसे पसंदीदा विषय रहा है। ग्राहक सेवा की गुणवत्ता में आ रही गिरावट पर वह कई बार अपनी नाखुशी भी जाहिर कर चुके हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि पटेल इस विषय को ज्यादा वरीयता देंगे और जानकारों की मानें तो कम से कम सरकारी बैंकों के मामले में इसकी ज्यादा जरूरत है।
हाल ही में आरबीआई की एक रिपोर्ट से साफ हुआ है कि 40 फीसद एटीएम काम नहीं करते, बार-बार निर्देश के बावजूद शिकायतों को दूर करने की ठोस व्यवस्था अभी तक बैंक नहीं कर पाए हैं।
निजी क्षेत्र को मिलेगा बैंक खोलने का मौका
इसके अलावा पटेल को नए जमाने के बैंकों के लाइसेंस देने के काम को भी आगे बढ़ाना होगा। राजन की अगुआई में पेमेंट और स्मॉल बैंकों के लाइसेंस दिए गए हैं। अब यूनीवर्सल बैंक और कस्टोडियन बैंक का लाइसेंस देने की तैयारी है। इन दोनों श्रेणियों में निजी क्षेत्र को बैंक खोलने का मौका मिलेगा।
ऐसे में नए गवर्नर को यह भी देखना होगा कि पेमेंट बैंक और स्मॉल बैंक के जिन्हें लाइसेंस दिए गए हैं, वे सही तरीके से काम कर सकें। चूंकि ये दूरदराज के इलाकों में ज्यादा काम करेंगे, इसलिए आरबीआई की भूमिका ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है।