16 साल बाद बहुचर्चित पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड में फैसले की घड़ी आखिरकार आ ही गई। मामले में डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम मुख्य आरोपी है। बाबा के साथ तीन अन्य किशन लाल, निर्मल और कुलदीप को भी आरोपी बनाया गया है। राम रहीम की पेशी सुनारिया जेल से ही वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए होगी। अन्य तीन आरोपी कोर्ट में पेश होंगे। साध्वी यौन शोषण केस में जिस जज जगदीप सिंह ने राम रहीम के खिलाफ फैसला सुनाया था, वही आज इस मर्डर केस में फैसला सुनाएंगे।
पुलिस और प्रशासन ने पेशी के मद्देनजर कोर्ट परिसर और शहर की सुरक्षा बढ़ा दी है। ट्रैफिक पुलिस ने जहां माजरी चौक से लेकर बेला विस्ट तक रूट को डायवर्ट कर वाहनों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया है। वहीं, सीबीआई कोर्ट के जज की सुरक्षा बढ़ाने के साथ अदालत परिसर में 240 जवानों को तैनात कर दिया गया है। इसके साथ शहर के चार एंट्री प्वाइंट समेत 17 नाकों पर करीब 12 सौ जवानों को सशस्त्र तैनात किया गया है।
डीसीपी कमलदीप गोयल ने धारा-144 लागू कर शहर में एक साथ चार से पांच लोगों के इकट्ठा होने पर प्रतिबंध लगा दिया है। उन्होंने आदेश का उल्लंघन करने की कोशिश करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के आदेश दिए हैं। कोर्ट परिसर समेत शहर में नौ बटालियन अतिरिक्त फोर्स तैनात की गई है। कोर्ट परिसर में वकील समेत निजी कार्य के लिए आने वाले लोगों को बिना चेकिंग के प्रवेश नहीं होने दिया जाएगा।
बेटे ने कहा, हमें भरोसा है इंसाफ मिलेगा
रामचंद्र छत्रपति के बेटे अंशुल छत्रपति ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि हमने एक ताकतवर दुश्मन के खिलाफ इंसाफ के लिए लड़ाई लड़ी है। हमें उम्मीद है कि 16 साल बाद अब पिता की हत्या के मामले में इंसाफ मिलेगा। अंशुल छत्रपति ने कहा कि इस मामले में सीबीआई के वकीलों ने पूरे संजीदा तरीके से पैरवी की है।
इस मामले की बहस पूरी हो चुकी है। पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या लाइसेंसी रिवाल्वर से की गई थी। रामचंद्र की हत्या दिनदहाड़े सिरसा में बीच सड़क पर की गई थी। दोनों आरोपितों कुलदीप और निर्मल को मौके पर ही पकड़ लिया गया था। छत्रपति ने ही साध्वियों से दुष्कर्म के मामले का खुलासा किया था।
गौरतलब है कि 24 अक्टूबर 2002 को सिरसा के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति पर हमला कर उन्हें गोलियों से छलनी कर दिया गया था। 21 नवंबर 2002 को दिल्ली के अपोलो अस्पताल में रामचंद्र छत्रपति जिंदगी की लड़ाई हार गए, लेकिन उनके बेटे अंशुल छत्रपति ने हार नहीं मानी और सीबीआई जांच की मांग के लिए पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में याचिका दायर की।
नवंबर 2003 में हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की और दिसंबर में इस केस की जांच शुरू हो गई थी। हालांकि 2004 में डेरा सच्चा सौदा ने यह जांच रुकवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट ने डेरा सच्चा सौदा के राम रहीम की याचिका खारिज कर दी।