परदे के पीछे से दूसरी पीढ़ी लड़ रही बिहार का संग्राम
बिहार चुनाव में लालू यादव, नीतीश कुमार, राम विलास पासवान, जीतन राम मांझी, सुशील मोदी सरीखे कई स्वनाम धन्य बड़े लड़ाके बिहार विधानसभा चुनाव में ताल ठोंक रहे हैं, लेकिन इन बड़े नामों के पीछे इन नेताओं के पुत्रों और संबंधियों ने ही ‘वार रूम’ का चार्ज ले लिया है। लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) हो या राष्ट्रीय जनता दल (राजद) या फिर हिंदुस्तान अवाम मोर्चा (हम), इन तमाम दलों में पार्टी नेतृत्व से कहीं ज्यादा प्रभावी युवराज दिख रहे हैं।
लोजपा में चिराग पासवान राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में उभरे हैं। पार्टी अध्यक्ष रामविलास पासवान के पुत्र चिराग ने बॉलीवुड से निराश होने के बाद राजनीति में कदम रखा और 2014 के लोकसभा चुनाव में जमुई से सांसद बन गए। वह लोजपा संसदीय दल के अध्यक्ष हैं। चिराग बिहार चुनाव में पार्टी की रणनीति तैयार करने के साथ ही अहम फैसले भी ले रहे हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस व राजद से नाता तोड़ भाजपा के साथ जाने का सुझाव भी चिराग का ही था। राम विलास खुद स्वीकार कर चुके हैं कि चिराग के दबाव में उन्होंने पाला बदला। चिराग का वह पहला राजनीतिक फैसला था, जिसे पार्टी ने स्वीकारा और छह सीटें जीतीं। पिता की राजनीति से ज्यादा मोदी से प्रभावित चिराग को बिहार के अगले उपमुख्यमंत्री के रूप में भी देखा जाने लगा है।
लोजपा की तरह ही राजद में भी युवराजों की राय पार्टी की रणनीति तय करने में महत्वपूर्ण हो रही है। लालू प्रसाद की विरासत के असली हकदार को लेकर पप्पू यादव चाहे जो दावा करें, लेकिन पिता की राजनीति से ज्यादा नीतीश से प्रभावित लालू के बेटों को राजद-जदयू के गठबंधन के लिए महत्वपूर्ण कारक माना जा रहा है। तेजस्वी व तेज प्रताप का ही प्रभाव है कि कल तक जो लालू का खटाल राजद का ब्रांड था वो आज तकनीक और प्रोफेशनल जमात का ठिकाना बन गया है। तेजस्वी राजद में प्रमुख रणनीतिकारों में शामिल हो चुके हैं और कई ऐसे फैसले ले रहे हैं जो पार्टी के राजनीतिक एजेंडे से अलग हैं। राजद का वार रूम संभाल रहे तेजस्वी पूरी तरह से राजद को नया लुक देने में लग गए हैं। लालू भी कह चुके हैं कि अगर महागठबंधन की सरकार बनती है तो उनके पुत्र महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाल सकते हैं।
इसी तरह नवनिर्मित पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रमुख जीतनराम मांझी पार्टी के अध्यक्ष जरूर हैं, लेकिन पार्टी की रणनीति और चक्रव्यूह पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र के पुत्र नीतीश मिश्रा और पूर्व मंत्री शकुनी चौधरी के पुत्र सम्राट चौधरी ही तैयार करते हैं। वहीं, जीतनराम मांझी के पुत्र इन दोनों के साथ राजनीति की व्यूहरचना के गुण सीख रहे हैं। हम में इनके अलावा पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह के दो बेटे सुमित व अजय सिंह तथा पूर्व सांसद जगदीश शर्मा के पुत्र राहुल शर्मा भी रणनीतिकारों में हैं। जहां तक कांग्रेस का सवाल है तो पूर्व मंत्री महावीर चौधरी के पुत्र अशोक चौधरी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हैं और राज्य स्तर पर वो कांग्रेस की नींव मजबूत करने में लगे हैं। कहा जाता है कि वे राहुल की टीम का प्रमुख हिस्सा हैं।
एक ओर जहां नयी पीढ़ी चुनावों की व्यूह रचना कर रही है। वहीं पार्टी नेताओं के कुछ संबंधी सिरदर्द का कारण भी बन रहे हैं। लालू यादव और राम विलास पासवान जैसे नेता अपने दामाद के कारण परेशान नजर आ रहे हैं। एक ओर जहां रामविलास पासवान के दामाद अनिल कुमार ने लोजपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, वहीं, लालू के दामाद तेज प्रताप यादव अपने पूरे कुनबे के साथ ससुर से मोर्चा लेने यूपी से बिहार आ रहे हैं।
सपा के महागठबंधन से अलग होने के बाद सपा प्रमुख के पोते और मैनपुरी से सपा सांसद तेज प्रताप यादव बिहार में राजद के खिलाफ प्रचार में कूद गए हैं। इतना ही नहीं, उनके दादा मुलायम, रामगोपाल, शिवपाल व चाचा अखिलेश भी उनके साथ बिहार में लालू प्रसाद की पार्टी को हराने की पूरी कोशिश करेंगे। वहीं, रामविलास के लिए भी परेशानी कम नहीं है। यहां उनके दामाद ही नहीं, उनकी बेटी भी उनके खिलाफ मोर्चा संभालने जा रही हैं। रामविलास के बेटे चिराग अपनी सौतेली बहन के संबंध में पारिवारिक मामला बता कर जरूर चुप्पी साध लें, लेकिन राजनीतिक मंचों से सवालों की बौछार तो तय मानी जा रही है। ल्ल
एक ओर जहां नयी पीढ़ी चुनावों की व्यूह रचना कर रही है। वहीं पार्टी नेताओं के कुछ संबंधी सिरदर्द का कारण भी बन रहे हैं। लालू और राम विलास पासवान जैसे नेता अपने दामाद के कारण परेशान नजर आ रहे हैं।
पटना से संतोष सुमन
हार विधान सभा चुनाव को लेकर अभी तक जितने भी सर्वे की रिपोर्ट आई है, सभी में मुख्यमंत्री के रूप में पहली पसन्द नीतीश कुमार ही हैं। वहीं चुनावी सर्वे में कोई महागठबंधन को पूर्ण बहुमत हासिल करते दिखा रहा है, तो कोई भाजपा नेतृत्व वाले राजग को आगे बता रहा है। विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के अंदर जदयू, राजद और कांग्रेस है, वहीं एनडीए में भाजपा, लोजपा, रालोसपा और हम शामिल हैं। बिहार विधान सभा में कुल 243 सीटें हैं। जबकि सरकार बनाने के लिए बहुमत 122 सीटों का होना जरूरी है। विधान सभा चुनाव को लेकर पहला सर्वे इंडिया टीवी सी वोटर्स का सर्वे आया, जिसमें महागठबंधन को 116 से 132 सीट दी, वहीं एनडीए को 94 से 110 सीटें दी।
इसके बाद दूसरा चुनावी सर्वे इंडिया टुडे सिसरो का आया, जिसमें महागठबंधन की सीटें घटीं और एनडीए को पूर्ण बहुमत दिखाया। इस सर्वे में महागठबंधन को 102 से 103 सीट तथा एनडीए को 120 से 130 सीट यानी बहुमत दिखाया। जबकि अन्य को 10 से 14 सीटें दिया। वहीं एबीपी न्यूज-नीलसन ओपिनियन पोल में महागठबंधन को पूर्ण बहुमत 122 सीट दिया, तो एनडीए को 118 सीट दी, जब कि अन्य को 3 सीट दी गयीं। इसके अलावा टीवी चैनेल न्यूज नेशन के चुनाव पूर्व सर्वे के मुताबिक बिहार में महागठबंधन (जदयू-राजद-कांग्रेस) को स्पष्ट बहुमत मिलने जा रहा है। इस सर्वे के अनुसार महागठबंधन को 125 से 129 सीटें, एनडीए को 111 से 115 तथा अन्य को 2 से 4 सीट मिलने की बात कहीं गयी है। यह भी भविष्यवाणी की गयी कि महागठबंधन को 45 फीसदी, एनडीए को 42 फीसदी तथा अन्य को 05 फीसदी वोट मिलेंगे। ‘जी-न्यूज’ के चुनाव पूर्व सर्वेक्षण के मुताबिक भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए को कुल 243 सीटों में कम से कम 140 सीटें मिलेंगी यानी पूर्ण बहुमत से भी ज्यादा सीटें दी। जदयू, राजद और कांग्रेस के महागठबंधन को कम से कम 70 सीटें मिलेगी और 22 सीटों पर कड़ा मुकाबला है। अभी तक के पांच चुनावी सर्वे में तीन सर्वे महागठबंधन को पूर्ण बहुमत दिखाया, वहीं दो चुनावी सर्वे में भाजपा गठबंधन को पूर्ण बहुमत दिखाया है।
बिहार में वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जिन्हें महागठबंधन ने अपना भावी सीएम भी घोषित किया है। न्यूज नेशन ने अपने सर्वे रिपोर्ट जारी कर कहा कि मुख्यमंत्री की रेस में नीतीश कुमार एनडीए के दावेदारों से बहुत आगे हैं, 47 फीसदी लोगों की पहली पसन्द नीतीश कुमार हैं। जब कि भाजपा के सुशील मोदी को 27 फीसदी, लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान को मात्र 04 फीसदी और हम के नेता जीतन राम मांझी को 03 फीसदी लोगों ने बतौर मुख्यमंत्री देखना पंसद किया। 50 फीसदी लोगों ने कहा कि नीतीश कुमार को एक और मौका मिलना चाहिए। भाजपा ने अभी तक अपने मुख्यमंत्री उम्मीदवार की घोषणा नहीं की, जिसका भी चुनाव पर प्रभाव नजर आ रहा है। भाजपा नरेन्द्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ रही है। यह मुकाबला विधान सभा चुनाव नीतीश कुमार और नरेन्द्र मोदी के बीच हो रहा है। चौथी सर्वे रिपोर्ट में कहा गया कि बिहार में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पीछे हैं। सर्वे रिपोर्ट में कहा कि 52 फीसदी लोगों ने नीतीश कुमार को लोकप्रिय नेता माना वहीं 47 फीसदी लोगों ने नमो को लोकप्रिय नेता माना। यानी बिहार में नमो से नीतीश कुमार बहुत ही आगे चल रहे हैं। नमो से पांच फीसदी ज्यादा लोगों ने नीतीश कुमार को पसंद करते हैं। चुनाव में पांच फीसदी पसंद और नापसंद बहुत ही माने रखता है। बिहार विधान सभा चुनाव के परिणाम आते-आते अभी कई चुनावी सर्वे सामने आएंगे, लेकिन सही तस्वीर तो आठ नवंबर को सामने आने के बाद पता चलेगा कि किस चुनावी सर्वे ने मतदाताओं की सही नब्ज पकड़ी। ल्ल
हम केन्द्र के और सात साल बिहार सरकार के नाम पर चुनाव लड़ेंगे और विकास हमारा मुद्दा होगा़।
-सुशील मोदी,भाजपा नेता
नीतीश के जाने के दिन का ऐलान हो गया है। बिहार के लोगों को कुछ नहीं मिला। उन्हें अब मोदी से उम्मीदें हैं हम बिहार में सरकार बनायेंगे।
-शाहनवाज हुसैन, प्रवक्ता भाजपा
कुर्सी के लिए सोनिया और लालू ने हाथ मिला लिया, यह है नीतीश का स्वाभिमान‘
-रामविलास पासवान,लोजपा अध्यक्ष एवं केन्द्रीय मंत्री
ये बिहार चुनाव नहीं देश का चुनाव है। दिन के आखरी घड़ी तक वोटिंग होनी चाहिए,जैसा दिल्ली चुनाव में हुआ। मोदी के अच्छे दिनों में महंगाई से गरीब के पेट पिचक रहे हैं। प्यजवा अनार हो गवा बाय।
-लालू प्रसाद यादव,राजद अध्यक्ष