नई दिल्ली । कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शनिवार को कहा कि लोकसभा चुनाव में मिली भारी पराजय से सबक लेने की जरूरत है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पार्टी समान विचार वाले दलों के साथ मिलकर मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाएगी। लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस संसदीय दल को पहली बार संबोधित करते हुए सोनिया ने पार्टी नेताओं द्वारा सार्वजनिक रूप से पराजय को लेकर आरोप-प्रत्यारोप पर असहमति जताई। सोनिया गांधी को शनिवार को सर्वसम्मति से कांग्रेस संसदीय दल का नेता फिर से चुन लिया गया। उन्होंने कहा कि उन्हें कांग्रेस कार्यसमिति से निर्देश मिला है कि संगठन को सभी स्तरों पर पुनर्गठित करने के लिए जरूरी कदम उठाएं। सोनिया ने कहा ‘‘आपकी सूचनाएं अनुभव और विश्लेषण हमारी ताकत है।’’ सोनिया नवनिर्वाचित सांसदों को बधाई दी और कहा कि पराजय पर हम व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से सबक लेंगे। उन्होंने कहा कि हमारे खिलाफ व्यापक जनाक्रोश था जिसे समझने में हमसे भूल हुई। हम यह समझने की कोशिश करेंगे कि ऐसा कैसे हुआ और इसके निदान के लिए क्या जरूरी कदम उठाए जाएं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस कार्यसमिति की पिछले सप्ताह हुई बैठक इस दिशा में शुरुआत है और हम आगे दिशा में कार्य करेंगे। सोनिया ने कार्यकताओं के मनोबल को ऊंचा करते हुए कहा कि कांग्रेस को 1०.69 करोड़ मत मिले जबकि भाजपा को 17.16 करोड़ मत हासिल हुआ। उन्होंने कहा कि लोकसभा में भले कांग्रेस की संख्या कम है लेकिन राज्यसभा में यह सबसे बड़ी पार्टी है।
बाद में पार्टी महासचिव जर्नादन द्विवेदी ने संवाददाताओं से कहा कि सोनिया संसद के दोनों सदनों में पार्टी नेता को नामित करेंगी और कांग्रेस संसदीय दल के पदाधिकारियों को भी चयनित करेंगी। लोकसभा चुनाव में पराजय के बाद कांग्रेस संसदीय दल की यह पहली बैठक थी। कांग्रेस लोकसभा चुनाव में मात्र 44 सीटें ही जीत पाई है। बैठक में पारित एक प्रस्ताव में कहा गया है कि कांग्रेस संसदीय दल उम्मीद जाहिर करता है कि संसद में धर्मनिरपेक्ष ताकतें अपनी रणनीति को समन्वित करेंगी। कांग्रेस संसदीय दल समान विचारधारा वाले दलों को आश्वस्त करता है कि इस संबंध में अपनी तरफ से पूरा सहयोग किया जाएगा। प्रस्ताव में कहा गया है कि कांग्रेस संवैधानिक सिद्धांतों के साथ छेड़छाड़ करने की किसी भी कोशिश से या पिछले दशक में लागू की गईं नीतियों और कानूनों को बदलने या उन्हें कमजोर करने की किसी कोशिश का पूरी ताकत के साथ मुकाबला करने का संकल्प लेती है। प्रस्ताव में पार्टी की भारी पराजय पर गहरी चिंता व्यक्त की गई है और अपनी आंतरिक ताकत को पूरे आत्मविश्वास के साथ प्रदर्शित करने का संकल्प लिया गया है।