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पराली जलाने पर SC ने की सख्ती, कहा- किसान अपनी आजीविका के लिए दूसरों को ना मारे

पराली जलाने से गैस चैंबर बन चुकी दिल्ली पर सुप्रीम कोर्ट ने किसानों को भी आड़े हाथों लिया। कोर्ट ने कहा कि किसान अपनी आजीविका के लिए दूसरे लोगों की मौत के मुंह में नहीं ढकेल सकते। अगर वे पराली जलाना जारी रखेंगे तो उनके प्रति हमारी कोई सहानुभूति नहीं रहेगी। कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण की वजह से दिल्लीवासियों की आयु कम हो रही है। जस्टिस अरूण मिश्रा और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा कि कोई भी किसान यह दावा नहीं कर सकते कि पराली जलाना उनका अधिकार है। हम किसानों को उनकी आजीविका के लिए दूसरों को मौत के मौत के मुंह में नहीं जाने दे सकते।

किसान यह नहीं कह सकते कि उन्हें दूसरी फसल लगानी है इसलिए पराली जलाना उनका अधिकार है। पीठ ने दो टूक कहा कि पराली जलाने वालों के प्रति हमारी कोई सहानुभूति नहीं है। जो लोग पराली जलाना नहीं रोकते और प्रदूषण के बारे में नहीं सोचते तो वे अन्य अधिकारों का दावा नहीं कर सकते।

पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं सबसे अधिक
पीठ ने कहा कि सेटेलाइन चित्रों से साफ है कि पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं सबसे अधिक है। तरणतारण, पटियाला, संगरूर सहित चार जिलों में ये घटनाएं सबसे अधिक हैं। 46 फीसदी पराली ये चार जिलों में जलाई जाती हैं। पीठ ने कहा कि हरियाणा, पंजाब और यूपी में पराली जलाने तक तत्काल बंद होना चाहिए।

पीठ ने पुलिस विभाग और स्थानीय निकायों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि उनके इलाके में पराली जलाने की एक भी घटना नहीं होनी चाहिए। ऐसी एक भी घटना होने पर मुख्य सचिव, पुलिस कमिश्नर सहित अन्य निजी तौर पर जिम्मेदार होंगे।

कोर्ट ने कहा कि राज्यों की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है क्योंकि लोगों के जीवन जीने का अधिकार प्रभावित हो रहा है। पीठ ने कहा कि रिपोर्ट बताते हैं कि लोग को दिल्ली छोडने की सलाह दी जा रही है या दिल्ली वापस न आने के लिए कहा जा रहा है

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