पर्यावरण संरक्षण का अनोखा जज्बा, नर्सरी लगाकर नि:शुल्क बांटता है पौधे
बिलासपुर. हर किसी को बचपन से ही किसी न किसी चीज में विशेष रुचि रहती है। कोई सिक्के इक्ट्ठा करता है तो कोई डाक टिकट। लेकिन ग्राम कड़ार का युवा कृषक परमेश्वर कुमार रजक कुछ अलग ही शौक रखता है। वह नाम कमाने के लिए नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के लिए बीजों से पौधे उगाता है। इतना ही नहीं वह इन पौधों को लोगों को नि:शुल्क बांटते हुए पर्यावरण के संरक्षण के लिए प्रेरित करता है।
इस बार 3 हजार पौधे लगाकर 6 माह तक उसकी देखभाल की है, और अब उसका वितरण ग्रामीणों व आसपास के शहरवासियों को कर रहा है। युवा कृषक होने के साथ वह खुद को एक आम नागरिक मानता है। परमेश्वर का कहना है कि भगवान विश्व के रचनाकार है। उसी रचनाकार ने मुझे प्रेरित किया है।
उन्हीं की कृपा से मैं खाली समय में पौधे लगाने व उनके देखभाल का कार्य करता हूं। 12 वर्ष की उम्र से ही पौधों के प्रति विशेष लगाव हुआ और तब से अब तक मैं इस कार्य को कर रहा हूं और इसके लिए किसी से सहायता नहीं लेता, बल्कि खुद के रुपयों से ही बीज की खरीदी कर पौधे लगाता हूं। इस कार्य में जो आनंद आता है उसकी अनुभूति मात्र से ही सुकून मिलता है। इसलिए जब तक जीवन रहेगा इस कार्य को करता रहूंगा।
जड़ी-बूटी व शो प्लांट
परमेश्वर ने जड़ी-बूटी के साथ ही शो प्लांट भी लगाए हैं। उसका मानना है कि जड़ी-बूटी से आयुर्वेद से हम जुड़ सकते हैं और इसे कई तरह के उपचार में इस्तेमाल कर� सकते हैं। इसके साथ ही शो प्लांट के माध्यम से भी हम पर्यावरण का संरक्षण कर सकते हैं। इसलिए सतवन, बंदन, सिंदूर, सतावर, गरुड़ पेंड, स्टीविया जैसे पौधे उगाए हैं।
करता है कृषि कार्य
परमेश्वर खेती करते हुए जितने भी पैसे कमाता है, उसमें से कुछ हिस्सा पर्यावरण संरक्षण के नाम से इन पौधों की देख-रेख में लगाता है। हर रोज सुबह व काम को आने के बाद शाम को पौधों की देखभाल करता है। इसके लिए किसी से सहयोग नहीं लेता।
थरहा लगाकर पौधा उपजाया
करीब छह माह पहले परमेश्वर ने 3 हजार बीज से खेत को नर्सरी का रूप देकर थरहा लगाया और कुछ दिनों के बाद उसे छोटे-छोटे पॉलिथिन बैग में भरा और अब पौधे लगभग 1 से 5सेंटीमीटर तक की लंबाई के हो गए है और उनका वितरण करना शुरू किया है। जो भी इच्छुक व्यक्ति है उन्हें परमेश्वर पौधे बांट कर पर्यावरण को� संरक्षित करने का संदेश दे रहा है।