एक दस्तावेज में सीआईए ने कहा है कि कड़ी सुरक्षा होने के कारण दिल्ली के परमाणु कार्यक्रम के बारे में जानकारी जुटाने में बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा। जासूसी एजेंसी ने बताया है कि राजीव गांधी सरकार जिस हाइड्रोजन बम का परीक्षण करना चाहती थी, वह 11 साल पहले इंदिरा गांधी द्वारा किए गए एक अन्य बम परीक्षण से बहुत शक्तिशाली था। एजेंसी ने यह भी नोट किया है कि भारत उस समय परमाणु तकनीक के मामले में पाकिस्तान से बहुत आगे था।
सीआईए के मुताबिक राजीव गांधी अपनी मां प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की योजना के मुताबिक परमाणु कार्यक्रम को आगे बढ़ाने को लेकर हिचक रहे थे, लेकिन 1985 की शुरुआत में पाकिस्तान के परमाणु हथियार बनाने की रिपोर्ट मिलने के बाद उन्होंने अपना इरादा बदल दिया। राजीव गांधी ने 4 मई 1985 को कहा था कि परमाणु हथियार बनाने के पाकिस्तान की लगातार कोशिश के बाद भारत अपनी परमाणु नीति की समीक्षा के लिए मजबूर हुआ है।
सीआईए का आकलन था कि ‘पाकिस्तान की ओर से लगातार परमाणु परीक्षण किए जाने की स्थिति में भारत परमाणु हथियार बनाने के लिए मजबूर होगा और ऐसे में दोनों देशों के बीच परमाणु हथियारों की होड़ शुरू हो जाएगी।’
सीआईए के आकलन के अनुसार अंतरराष्ट्रीय राजनीति और आर्थिक परिणामों की आशंका के कारण भारत, पाकिस्तान के परमाणु प्लांट्स पर हमला नहीं करेगा। एक दस्तावेज में कहा गया है कि लंबी अवधि में पाकिस्तान नहीं, चीन को भारतीय सुरक्षा के लिए खतरा माना जाता है।
गौरतलब है कि उस समय पाकिस्तान को दक्षिण एशिया में अमेरिका का महत्वपूर्ण सहयोगी माना जाता था, जबकि भारत को सोवियत यूनियन के दोस्त के रूप में देखा जाता था।
हालांकि राजीव गांधी सरकार ने इस तरह का कोई परीक्षण नहीं किया। 1998 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने परमाणु बम का परीक्षण किया। पाकिस्तान ने भी इसके बाद ऐसे परमाणु परीक्षण किए। सीआईए के दस्तावेज 25 साल की अनिवार्य समय सीमा समाप्त होने के बाद 17 जनवरी को ऑनलाइन पोस्ट किए गए हैं।