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पाकिस्तान से भागकर भारत आए 200 हिंदू, कई लोग वापस नहीं जाना चाहते

नई दिल्ली : भारत—पाकिस्तान सीमा से लगभग दो सौ पाकिस्तानी हिंदू भारत में आए थे। अधिकारियों ने कहा कि उनमें से कई यात्री वापस नहीं जाना चाहते हैं। पाकिस्तान से ये हिंदू विजिटर्स वीजा पर भारत की यात्रा पर आए थे, लेकिन उनमें से कुछ ने दावा किया कि उन्हें पाकिस्तान में असुरक्षित महसूस हुआ और सीएए के लागू होने के बाद उन्हें भारतीय नागरिकता मिलने की उम्मीद है। अकाली नेता और दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा चार परिवारों का स्वागत करने के लिए सीमा पर गए थे। उन्होंने दावा किया कि वे परिवार धार्मिक उत्पीड़न के कारण पाकिस्तान से भागकर आए थे। सीमा अधिकारी दावा करते हैं कि इस सीमा पर पाकिस्तानी से आने वाले हिंदुओं की संख्या में पिछले एक महीने में काफी वृद्धि हुई है। नागरिकता संशोधन अधिनियम में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 तक धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के सदस्यों को भारतीय राष्ट्रीयता देने की बात कही है। सोमवार को सीमा पर कर भारत आने वाले अधिकांश यात्री सिंध और कराची क्षेत्रों के रहने वाले थे। उनमें से कुछ ने कहा कि वे भारत में शरण लेंगे।

नाम न छापने की शर्त पर पाकिस्तानी हिंदुओं में से एक ने कहा कि नए नागरिकता कानून के लागू होने के बाद, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में रहने वाले हिंदुओं और सिखों को भारतीय नागरिकता पाने की उम्मीद है। उनमें से ज्यादातर अपने रिश्तेदारों से मिलने राजस्थान गए हुए थे। एक महिला ने कहा कि हम पाकिस्तान में सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं। हमारी लड़कियां असुरक्षित महसूस करती हैं क्योंकि उन्हें डर है कि कट्टरपंथियों द्वारा कभी भी उनका अपहरण किया जा सकता है, जबकि पुलिस मूकदर्शक बनी रहती है। हमारी लड़कियां पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिम इलाके में स्वतंत्र रूप से नहीं घूम सकती हैं। दो अन्य महिलाओं ने अपने नाम का खुलासा किए बिना कहा कि हिंदू लड़कियों का अपहरण पाकिस्तान में आम बात हो गई है और कोई भी परिवार कट्टरपंथियों के खिलाफ पुलिस में शिकायत करने की हिम्मत नहीं कर पाता है। सिरसा ने कहा कि वह मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलेंगे।

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