अन्तर्राष्ट्रीय

पाक आतंकियों को अफगानिस्तान में मिल रही है ट्रेनिंग, अलर्ट पर भारतीय दूतावास

खुफिया जानकारी मिली है कि आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) और लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के काडर भारत पाकिस्तान की सीमा को छोड़कर अफगानिस्तान की सीमा में शिफ्ट हो गए है। इसके कारण भारत के राजनयिक मिशन और कार्यालयों को हाई अलर्ट पर रखा गया है क्योंकि माना जा रहा है कि वह इन्हें निशाना बना सकते हैं। अपनी जान-माल की सुरक्षा के लिए पाकिस्तान के आतंकी अफगानिस्तान के प्रांत कुनार, ननगरहार, नूरिस्तान और कंधार में शिफ्ट हो गए हैं। यह कदम उन्होंने भारतीय वायुसेना द्वारा बालाकोट आतंकी कैंप पर की गई एयर स्ट्राइक के बाद उठाया है।

भारतीय वायुसेना के मिराज 2000 लड़ाकू विमान ने बालाकोट में जेईएम के आतंकी ठिकानों को नेस्तानाबूत किया था। ऐसा 14 फरवरी को जैश के आत्मघाती हमले का बदला लेने के लिए किया गया था। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए इस हमले में सीआरपीएफ के काफिले को निशाना बनाया था। जिसमें 40 जवान शहीद हो गए थे।

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार डूरंड रेखा के पार पाकिस्तानी आतंकियों ने अफगान तालिबान और अफगान विद्रोही संगठन हक्कानी नेटवर्क के साथ हाथ मिला लिया है। यह रेखा अफगानिस्तान से पाकिस्तान को अलग करती है। यहां इनके चरमपंथी काडर को विध्वंसक गतिविधियों का प्रशिक्षण दिया जाता है।

यही कारण है कि मोदी सरकार ने पाकिस्तान की इमरान खान सरकार द्वारा एक-दो जुलाई को एलईटी नेताओं और आतंकी फंडिंग से जुड़े पांच चैरिटी संगठनों पर की गई कार्रवाई पर भरोसा नहीं किया। भारत सशस्त्र आतंकी समूहों के खिलाफ खानापूर्ति की बजाए दिखाई देने और भरोसा करने लायक कार्रवाई चाहता है।

भारतीय सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि आतंकी काडर डूरंड लाइन के पार शिफ्ट हो गए हैं। जिससे कि इस साल के अंत में पेरिस सम्मेलन में वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट न कर सके। यह संस्था दुनियाभर में आतंकी लेन-देन पर कड़ी नजर रखता है और इसने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाला हुआ है।

इस घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि बेशक पाकिस्तान आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है लेकिन इसके बावजूद भारतीय राजनयिक प्रतिष्ठान जिसमें काबुल में स्थित दूतावास भी शामिल है, उनपर आतंकी हाजी अब्दुल साफी के नेतृत्व में जेईएम के आतंकियों का खतरा मंडरा रहा है। जिसके कारण उन्हें हाई अलर्ट पर रखा गया है।

इसके अलावा दूसरे आतंकी कारी वारी गुल से भी खतरा है। माना जा रहा है कि वह विस्फोटक से भरी कार के जरिए काबुल में स्थित भारतीय दूतावास पर हमला कर सकता है। इसके अलावा कंधार में स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास पर तालिबानी हमला होने की आशंका है।

विदेश मंत्रालय को मिली जानकारी
विदेश मंत्रालय को सूचित किया गया है कि जैश काडर की एक बहुत बड़ी संख्या अफगानिस्तान के प्रांत कोट और मोमनदर (ननगरहार), संगुई और मरजा (हेलमंद), लोगान और नावा (गजनी), जुरमट (पकटिया), कुनार, फारयाब और कुंडूज में शिफ्ट हो गई है। इन्होंने तालिबान आतंकियों से हाथ मिला लिया है।

खुफिया रिपोर्ट से पता चला है कि तालिबान और हक्कानी नेटवर्क ने जैश के मुखिया मौलाना मसूद अजहर को फरवरी 2019 में शरण देने की पेशकश की थी लेकिन अजहर को लगा कि वह बहावलपुर में पाकिस्तानी सेना की सुरक्षा में ज्यादा सुरक्षित है।

अफगानिस्तान में जेईएम के आतंकियों की मौजूदगी का पता तब चला जब दो आतंकियों सेदिक अकबर और अताउल्लाह को अफगान राष्ट्रीय सुरक्षा बल ने इस साल जनवरी में उस वक्त गिरफ्तार किया जब वह जलालाबाद से काबुल की ओर जा रहे थे। इन्होंने बताया था कि वह काबुल और कंधार में स्थित भारतीय दूतावास की रेकी करने जा रहे थे। इसके अलावा एलईटी ने अफगानिस्तान के ननगरहार, नूरिस्तान, कुनार, हेलमंद और कंधार प्रांत में प्रशिक्षण शिविर खोल रखे हैं।

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