देहरादून: देश के जिन 21 शहरों के पानी की गुणवत्ता की जांच भारतीय मानक ब्यूरो (बीआइएस) ने कराई थी, उसमें दून का स्थान 18वां आया था। अब बीआइएस ने पानी की गुणवत्ता के आंकड़े भी जारी कर दिए हैं, जो बताते हैं कि दून के पानी में सीवरजनित कोलीफॉर्म और ई-कोलाई बैक्टीरिया तक की उपस्थिति पाई गई है। ये आंकड़े जल संस्थान के उन दावों की पोल भी खोलते हैं, जिनमें अधिकारी कहते रहे हैं कि यहां पानी की गुणवत्ता में किसी भी तरह की कमी नहीं है।
बीआइएस ने दून में 10 अलग-अलग क्षेत्रों से पानी के नमूने लिए थे। इन नमूनों को 44 मानकों पर परखा गया। इसमें छह इलाकों का पानी सात प्रमुख पैरामीटर पर खरा नहीं उतरा। सिर्फ बलबीर रोड ऐसा इलाका है, जहां तीन मानकों को छोड़ बाकी पर पानी की गुणवत्ता सही मिली। गंभीर यह कि जिस कोलीफॉर्म और ई-कोलाई की मात्रा पानी में शून्य होनी चाहिए, उसकी मात्रा सभी जगह पाई गई है। इसके अलावा टोटल डिजॉल्वड सॉलिड (टीडीएस), टोटल हार्डनेस, टोटल एल्कलाइनिटी, मैग्नीशियम और कैल्शियम की मात्रा भी मानक से अधिक पाई गई। यह स्थिति बताती है कि दून का पानी पीने योग्य नहीं रह गया है। बिना उचित ट्रीटमेंट के यह सेहत पर भारी पड़ सकता है।
ये है तस्वीर
क्षेत्र कम गुणवत्ता पैरामीटर की संख्या
धर्मपुर, 07
नेहरू कॉलोनी, 07
सुभाष रोड, 07
रेसकोर्स, 07
चुक्खूवाला, 07
अजबपुर कलां, 07
बंजारावाला, 06
मोहकमपुर, 05
नेहरू ग्राम, 04
बलबीर रोड, 03
जल संस्थान को दूषित तत्वों की मात्रा का इंतजार
जल संस्थान के मुख्य महाप्रबंधक एसके शर्मा का कहना है कि अभी भारतीय मानक ब्यूरो से पानी में दूषित तत्वों की मात्रा का विवरण नहीं मिला है। फिर भी जिन क्षेत्रों में पानी की खराब गुणवत्ता का जिक्र किया गया है, वहां सुधार के कार्य शुरू कर दिए गए हैं। पानी के सैंपल लेकर थर्ड-पार्टी जांच के लिए भी भेज दिए गए हैं। ब्यूरो से विस्तृत रिपोर्ट मिल जाने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
इन तत्वों की अधिकता पाई गई
टीडीएस: पानी में इसकी मात्रा 300 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए। हालांकि, अगर पानी में कैल्शियम और मैग्नीशियम की मात्रा अधिक न हो तो 1500 टीडीएस वाला पानी भी पीने योग्य है, मगर दून में ऐसा नहीं है। यहां कैल्शियम और मैग्नीशियम दोनों की ही मात्रा मानक से अधिक है। यही कारण है कि दून के पानी की टोटल हार्डनेस भी अधिक पाई गई है।
कैल्शियम बाईकार्बोनेट: इसकी अधिकतम सीमा 75 मिलीग्राम प्रति लीटर होनी चाहिए। मैग्नीशियम बाईकार्बोनेट की अधिकतम सीमा पानी में 30 मिलीग्राम प्रति लीटर होनी चाहिए।
इन रोगों का खतरा
दिल संबंधी बीमारी, अस्थमा, त्वचा रोग, त्वचा पर झुर्रियां जल्दी आना, पथरी, एसिडिटी, मधुमेह, अल्जाइमर आदि।
कोलीफॉर्म: इसकी मात्रा पानी में शून्य होनी चाहिए। इसकी उपस्थिति पाए जाने का मतलब यह है कि पानी में सीवर या गोबर मिल रहा है।
कोलीफॉर्म के दुष्प्रभाव
पेट के रोग, डायरिया, हेपेटाइटिस, पीलिया आदि।
टोटल एल्कलाइनिटी (कुल क्षारीयता): पानी में इसे पीएच वैल्यू के रूप में देखा जाता है और यह 6.5 से 7.5 के बीच होनी चाहिए।
अधिकता के दुष्प्रभाव
अल्सर हो सकता है। इसके अलावा त्वचा और बाल संबंधी रोग हो सकते हैं।
स्पैक्स के सचिव डॉ. बृजमोहन शर्मा ने बताया कि स्पैक्स हर साल दून के पानी गुणवत्ता की रिपोर्ट जारी करता है और हर बार जल संस्थान का पानी मानकों पर खरा नहीं उतरता। अब बीआइएस ने भी पानी की गुणवत्ता को स्पष्ट कर दिया है। इस दफा भी स्पैक्स जल्द पानी की गुणवत्ता के आंकड़े जारी करने वाला है।