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पीडिता के इंकार के बावजूद सामूहिक बलात्कार दोषियों को 10 वर्ष की कैद

courtनई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने 28 वर्षीय महिला से बलात्कार के मामले में पीडिता के बयान से मुकर जाने के बावजूद दो अभियुक्तों को इस अपराध के लिये 10 वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एम सी गुप्ता ने दिल्ली निवासी 35 वर्षीय हरीराम और 22 वर्षीय सुरेश को कैद की सजा सुनाई और उन पर 10-10 हजार रूपये का जुर्माना भी किया। अदालत ने कहा कि यह स्पष्ट साबित होता है कि आरोपी सुरेश और हरीराम ने महिला की इच्छा के खिलाफ उससे यौन संबंध बनाए। अदालत ने दोषियों की इस दलील को अस्वीकार कर दिया कि प्राथमिकी दर्ज कराने में विलंब हुआ जो अभियोजन के लिए घातक है। अदालत ने कहा कि घटना के बाद महिला भयभीत थी क्योंकि दोनों ने उसे इस बारे में किसी को नहीं बताने की धमकी दी थी और उसे डर था कि उसके पति उसकी पिटाई करेंगे। अदालत ने कहा कि इसी वजह से उसने अपनी एक महिला रिश्तेदार को इस बारे में जानकारी दी जो उसे थाने लेकर गई और दोनों आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कराया । न्यायाधीश ने कहा, इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता कि भारतीय महिलाओं में यौन अपराध को छिपाने की प्रवृति होती है क्योंकि यह उसकी और उसके परिवार की प्रतिष्ठा की बात होती है। कुछ मामलों में ही पीडिम्ता लड़की या उसका परिवार थाने जाने और मामला दर्ज कराने का साहस जुटाता है। अभियोजन के मुताबिक लड़की पहले एक फैक्टरी में काम करती थी जहां सुरेश भी काम करता था। उत्तर पश्चिम दिल्ली के इंदिरा इन्क्लेव में 14 जून 2009 को हुई घटना से कुछ दिनों पहले ही महिला ने नौकरी छोड़ दी थी। इसने बताया कि हरीराम किराये के उस मकान का मालिक था जहां फैक्टरी चल रही थी। सुरेश ने महिला को फोन कर ठेकेदार से अपना बकाया धन लेने के लिए बुलाया था।

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