पुणे में सुरंग पर गिरी क्रेन, 9 मजदूरों की मौत
– मृतक के परिवार के लिए दो-दो लाख रुपये मुआवजे की घोषणा
पुणे > सोमवार शाम केंद्र सरकार की महत्वकांशी नीरा-भीमा नदी को जोड़ने वाले प्रकल्प में बड़ा हादसा हो गया. शाम के वक्त काम खत्म होने के बाद सुरंग से जमीन पर लौटते समय 9 मजदूरों की जान चली गई. पुणे ग्रामीण पुलिस नियंत्रण कक्ष के अनुसार, यह हादसा शाम करीब 6 बजे हुआ जब 9 मजदूर जमीन के 150 मीटर नीचे बनी सुरंग से ऊपर आ रहे थे. रोज की तरह सभी मजदूर लोहे के बॉक्स वाली लिफ्ट से ऊपर की तरफ आ रहे थे कि तभी हादसा हो गया. लोहे की लिफ्ट तकरीबन आधे रास्ते तक पहुंच चुकी थी कि अचानक तकनीकी खराबी की वजह से लिफ्ट को झटका लगा और लिफ्ट का दरवाजा खुल गया. लिफ्ट को खीचने वाली तारें टूट गईं और सभी 8 लोग लिफ्ट के साथ सुरंग की सतह पर पत्थरों पर जा गिरे. इस हादसे में 7 मजदूरों की मौके पर ही मौत हो गई जबकि 2 मजदूरों को अस्पताल ले जाया गया लेकिन उसने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया. बता दें कि पुणे से 150 किलोमीटर दूर, इन्दापुर तहसील में नीरा नदी के तावशी से उजनी तालाब तक 2 नदियों को जोड़ने का काम चल रहा है. 3 किलोमीटर अंदर तक क्रेन से जमीन खोद कर बोगदा बनाने का काम चल रहा है. ये सभी 9 मजदूर अपना काम खत्म कर लौट रहे थे और हादसे में सभी की मौत हो गई. घटना की जानकारी मिलते ही महाराष्ट्र के जल संसाधन राज्य मंत्री विजय शिवतारे और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी और अन्य अधिकारी तथा बचावकर्मी घटनास्थल पर पहुंचे, लेकिन वहां बिजली की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने के कारण बचाव अभियान बाधित हुआ. जल संसाधन मंत्री गिरीश महाजन ने प्रत्येक मृतक के परिवार के लिए दो-दो लाख रुपये मुआवजे की घोषणा की है. स्थानीय लोगों के अनुसार, केंद्र सरकार की इस परियोजना पर लगभग 300 कर्मी काम कर रहे हैं और दोनों नदियों को जोड़ने के लिए 150 मीटर लंबी सुरंग खोदी जा रही है.
– क्या है ये प्रोजेक्ट
देश के महत्वपूर्ण नीरा और भीमा नदी को जोड़ने के काम की शुरुआत युद्धस्तर पर इंदापुर तहसील से हो चुकी है. बरसात का पानी जो बर्बाद जाता है वह इन नदियों को जोड़ने से उपयोग में आएगा. इंदापुर तहसील के उद्धट से नीरा नदी का पानी 24 किलोमीटर के बोगदे की सहायता से उजनी में छोड़ा जाएगा. अभी तक 100 फीट से ज्यादा गहरे बोगदे का निर्माण कार्य हो चुका है. साल 2012 से यह काम शुरू किया गया था लेकिन 2 सालों तक यह काम रुक गया था. अब दोनों नदियों को जोड़ने का काम के लिए 300 मजदूर की सहायता और मशीन द्वारा बोगदे की खुदाई का काम शुरू है. दोनों नदियों को जोड़ने का मुख्य कारण है मराठवाड़ा में पानी किल्लत पर काबू पाना. इस पानी का उपयोग मराठवाड़ा के उस्मानाबाद, बीड जिले के आष्टी, भूम, परांडा और इन तहसीलों के 34 हजार हेक्टर खेती क्षेत्र को फायदा होगा साथ ही अनेक गांवों की पीने के पानी की समस्या दूर होगी.