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पूरी दुनिया से बदनामी के बाद आज POK में इमरान की रैली, भारतीय सेना अलर्ट

कश्मीर पर नापाक मंसूबे पालने वाले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान शुक्रवार को पीओके की राजधानी मुजफ्फराबाद में जनसभा को संबोधित करेंगे। इस दौरान वह कश्मीर पर अपनी सरकार की नीति का खुलासा करेेंगे। पाकिस्तानी विदेश कार्यालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। उधर जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा खत्म करने से बौखलाए पाकिस्तान को भारतीय सेना ने सख्त संदेश दिया है। सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने बृहस्पतिवार को कहा है कि पाक के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में कार्रवाई के लिए हमारी फौज हमेशा तैयार है। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा, इस बारे में फैसला सरकार को ही लेना है।

सेनाध्यक्ष ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के निर्णय को स्वागत योग्य कदम बताते हुए कहा, कश्मीरी लोग भी हमारे देश के ही हैं। पीएमओ में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह के पीओके को भारत में शामिल करने के सरकार के एजेंडे पर दिए बयान के सवाल पर रावत ने कहा, इस मामले में सरकार को ही फैसला लेना है। अन्य संस्थाएं तो जैसा सरकार निर्देश देगी, वैसी तैयारियां करेंगी।

सेना की तैयारी को लेकर पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि सेना तो हमेशा किसी भी कार्रवाई के लिए तैयार ही रहती है। पीओके को लेकर सरकार के बयान से खुशी हुई। रावत से जब मीडिया ने कहा कि पाक के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने जम्मू-कश्मीर को भारतीय प्रदेश बताया है तो उन्होंने कहा, यही हकीकत है।

रावत उत्तर प्रदेश में अमेठी के त्रिसुंडी स्थित सीआरपीएफ रिक्रूट ट्रेनिंग सेंटर पहुंचे थे। वह यहां आगामी दिनों में अमेठी में आयोजित होने वाली सेना भर्ती रैली की तैयारियों की समीक्षा करने के लिए आए थे।

इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी कहा था कि पाकिस्तान से अब कोई भी बातचीत पीओके को लेकर ही होगी। 6 अगस्त को गृह मंत्री अमित शाह ने भी संसद में 370 पर विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए संसद में कहा था कि हम जान दे देंगे, लेकिन पीओके लेकर रहेंगे।

30 साल आतंकवाद झेला, शांति के लिए कश्मीरी सेना को दें वक्त
जम्मू-कश्मीर के हालात पर चर्चा करते हुए जनरल रावत ने कहा, जम्मू-कश्मीर के लोगों को समझना होगा कि वहां जो भी हो रहा है, वह उन्हीं के लिए है। जब सरकार ने अनुच्छेद 370 को हटाया तो इसका मतलब यह है कि जम्मू-कश्मीर को भारत के साथ एकीकृत किया गया है।

लोगों को सुरक्षा बलों को एक मौका देना होगा, ताकि घाटी में शांति में कायम की जा सके। कश्मीर के लोगों ने 30 साल से आतंकवाद का सामना किया है। अब उन्हें शांति प्रक्रिया के लिए एक मौका देना चाहिए। इसके बाद उन्हें अहसास होगा कि जो शांति उन्हें मिली है, उससे उन्हें बरसों तक वंचित रखा गया।

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