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प्रतिस्पर्धात्मक सूची में भारत 55वें पायदान पर

दस्तक टाइम्स/एजेंसी

wfनई दिल्ली। वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता सूची में देश की रैकिंग बेहतर होने और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में वृद्धि की एक वैश्विक मीडिया रिपोर्ट पर खुशी का इजहार करते हुए एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को कहा कि इससे भारतीय कारोबारी क्षेत्रों को विदेशी निवेश के लिए खोले जाने की सफलता का पता चलता है।विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की बुधवार को जारी वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता सूची में भारत 16 पायदान मजबूत होकर 55वें पर आ गया है।औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) के सचिव अमिताभ कांत ने यहां कहा, ‘‘यह सफलता ऐसे समय में मिली है, जब पूरी दुनिया में एफडीआई 16 फीसदी घटा है। देश में एफडीआई में भारी वृद्धि हुई है। इसका प्रमुख कारण यह है कि मौजूदा सरकार ने कई क्षेत्रों को खोल दिया है।’’विश्व आर्थिक मंच ने बुधवार को वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता रिपोर्ट 2०15-16 जारी की, जिसमें विभिन्न देशों की प्रतिस्पर्धात्मकता के आधार पर उसकी रैकिंग की गई है।इस सूची में भारत को 55वें स्थान पर रखा गया है। सूची में अव्वल रहे 1० देशों में प्रथम स्थान पर स्विट्जरलैंड, दूसरे पर सिंगापुर, तीसरे पर अमेरिका, चौथे पर जर्मनी, पांचवें पर नीदरलैंड, छठे पर जापान, सातवें पर हांगकांग, आठवें पर फिनलैंड, नौवें पर स्वीडन और दसवें पर ब्रिटेन है।सूची में चीन को 28वें, ब्राजील को 75वें और पाकिस्तान को 126वें स्थान पर रखा गया है।

विश्व आर्थिक मंच के आधिकारिक वेबसाइट पर भारत के बारे में कहा गया है, ‘‘लगातार पांच साल तक गिरावट दर्ज करने के बाद भारत 16 पायदान ऊपर चढ़कर 55वें पर पहुंच गया है।’’वेबसाइट पर कहा गया है, ‘‘यह नाटकीय बदलाव प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी के चुनाव के बाद पैदा हुई लहर से आया है, जिनकी कारोबार हितैषी, विकासपरक और भ्रष्टाचार विरोधी नीतियों से कारोबारी समाज में सरकार के प्रति सोच बदली है।’’उधर फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2०15 की प्रथम छमाही में एफडीआई आकर्षित करने में भारत ने चीन और अमेरिका को भी पीछे छोड़ दिया है।मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस दौरान भारत में 31 अरब डॉलर का एफडीआई आया, जबकि चीन में 28 अरब डॉलर और अमेरिका में 27 अरब डॉलर का एफडीआई आया।कांत ने कहा, ‘‘लालफीताशाही काफी हद तक खत्म की गई है। हमने चीजों को अत्यधिक आसान कर दिया है। हमने राज्यों के बीच प्रतिस्पर्धा पैदा की है। आप देखेंगे कि राज्यों के बीच की यह प्रतियोगिता भारत को और तेजी से आगे ले जाएगी।’’कांत ने कहा, ‘‘हम इस विकास की गति के और तेज होने की उम्मीद करते हैं।’’सचिव ने कहा कि विश्व बैंक की व्यापार की सुविधा रिपोर्ट में भारत की स्थिति बेहतर होने की उम्मीद है।उन्होंने कहा, ‘‘हम तीन वर्ष की योजना पर काम कर रहे हैं। अगले साल स्थिति और बेहतर होने की उम्मीद है। तीसरे साल में भारत शीर्ष 5० में आ जाएगा।’’कांत ने पहले कहा था कि अगस्त महीने में देश में एफडीआई साल-दर-साल आधार पर 74 फीसदी अधिक रहा है।

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