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प्रधानमंत्री बनने की रेस में नरेंद्र मोदी-राहुल गांधी से आगे

नई दिल्ली: दक्षिणी हिस्से को छोड़ दिया जाए तो पूरे देश की राय यही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक और कार्यकाल के लिए मौका दिया जाना चाहिए। पूरे देश में 46 फीसदी प्रतिभागियों ने नरेंद्र मोदी के पक्ष में ही अगला प्रधानमंत्री बनने के लिए वोट दिया। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को PSE सर्वे में 32% वोटरों ने प्रधानमंत्री के लिए अपनी पसंद बताया। वहीं 22 फीसदी वोटर इस पर स्पष्ट राय व्यक्त नहीं कर सके। सर्वे देश के 540 लोकसभा संसदीय क्षेत्रों लोगों से फोन पर लिए गए इंटरव्यू पर आधारित है। इस सर्वे में कुल 2,16,235 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। सर्वे 25 अगस्त से 31 अक्टूबर के बीच हुआ।

सर्वे से सामने आया कि देश के उत्तरी, पूर्व और पश्चिमी हिस्सों में लोकप्रियता के मामले में प्रधानमंत्री मोदी का ग्राफ राहुल गांधी के मुकाबले कहीं ऊंचा है. सिर्फ दक्षिणी हिस्से में राहुल ने मोदी को पीछे छोड़ा है। मोदी को उत्तर में 45%, पूर्व में 50% और पश्चिम में 52% वोटर अगले कार्यकाल के लिए भी प्रधानमंत्री बनते देखना चाहते हैं। वहीं राहुल गांधी को उत्तर में 27%, पूर्व में 25% और पश्चिम में 33% प्रतिभागियों ने ही प्रधानमंत्री के लिए अपनी पसंद बताया। जहां तक दक्षिण का सवाल है तो वहां बाज़ी उलटी नज़र आई। यहां प्रधानमंत्री के लिए राहुल के पक्ष में 40% वोटरों ने राय व्यक्त की वहीं मोदी को सिर्फ 37% वोटरों का ही समर्थन मिल सका।

चुनाव विश्लेषक योगेंद्र यादव इस बात से सहमत हैं कि प्रधानमंत्री पद की दौड़ में नरेंद्र मोदी आगे हैं, लेकिन साथ ही कहते हैं कि मोदी की लोकप्रियता में तेज गिरावट आई है। यादव कहते हैं, ‘ये काफी हद तक साफ है कि राहुल गांधी से नरेंद्र मोदी आगे हैं। 2014 में मोदी की लोकप्रियता राहुल गांधी, सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह को मिलाकर भी दोगुनी थी। एक साल पहले तक मई 2017 में मोदी की लोकप्रियता राहुल, सोनिया और मनमोहन सिंह से मिलाकर तीन गुना थी। अब ये डेढ़ गुना रह गई है. जहां तक सरकार की लोकप्रियता का सवाल है तो पिछले साल के मुकाबले कहीं नहीं टिकती।’

राजनीति-विज्ञानी संदीप शास्त्री कहते हैं, ‘राहुल गांधी से मोदी आगे हैं, लेकिन फासला घट गया है। बीजेपी इसे नेतृत्व का मुकाबला बनाना चाहती है, लेकिन कांग्रेस ऐसा नहीं चाहती। इस वक्त दोनों में मुकाबले का जो ढांचा है उसके मुताबिक दौड़ काफी करीबी हो गई है। किसी नेता की लोकप्रियता पार्टी के लिए सीटों की जीत में तब्दील नहीं होती।’ वहीं, राजनीतिक विश्लेषक मनीषा प्रियम का कहना है, ‘मोदी आगे हैं लेकिन उन्होंने किसी भी केटेगरी में 50% का आंकड़ा पार नहीं किया है। ये देखना दिलचस्प है कि अन्यों को भी 20 से 25% वोट मिले हैं। अगर ऐसे ही गिरावट जारी रही, जो कि हो रहा है तो ये तीसरी दिशा में मुड़ सकता है. 2019 राज्यों के चुनावों का जोड़ होने जा रहा है। असली चुनौती अन्य को राहुल गांधी के साथ मिलाकर है।’

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