गुरुवार सुबह मरम्मा मंदिर की आधारशिला रखे जाने के मौके पर प्रसाद बांटा गया था। प्रसाद खाने के बाद लोगों को उल्टी के साथ पेट में दर्द होने लगा। कुछ पीड़ितों का कहना है कि प्रसाद में मिट्टी के तेल की गंध आ रही थी।
मैसूर: कर्नाटक के चामराजनगर जिले के सुलिवादी गांव में शुक्रवार को एक मंदिर में प्रसाद खाने से दो बच्चों समेत 12 लोगों की मौत हो गई, जबकि 80 लोग बीमार हो गए। इस मंदिर में तीन रसोइए खाना बनाते हैं, इनमें से एक रसोइए पुत्तुस्वामी की 12 साल की बेटी नलिनी की भी प्रसाद खाकर मौत हो गई। रसोइए के मुताबिक उन्हें प्रसाद से कुछ अजीब गंध आने के बाद शक हुआ था। पुत्तुस्वामी ने बताया कि प्रसाद को बांटने से पहले उन्होंने चखा था लेकिन उन्हें कुछ नहीं हुआ। उन्होंने कहा, ‘प्रसाद से कुछ अजीब सी गंध आ रही थी लेकिन खाने पर ठीक लगा।
मेरी बेटी इसे खाने के बाद मर गई।’ नलिनी एक स्थानीय स्कूल में कक्षा-6 की छात्रा थी। बिदरहल्ली गांव के रहने वाले 42 वर्षीय शांताराजू की शादी 12 साल पहले शिवगामी से हुई थी। दोनों मजदूरी करते हैं। शादी के बाद से इन्हें बच्चा नहीं हो रहा था। इसके बाद इन्होंने मन्नत मानी कि अगर उन्हें बच्चा हुआ तो वे मंदिर जाएंगे। शुक्रवार को वे अपने दो महीने के बच्चे के साथ मंदिर गए थे। बच्चे के रोने की वजह से शिवगामी प्रसाद नहीं खा पाई लेकिन शांताराजू ने प्रसाद खाया और कुछ मिनट में ही उनकी मौत हो गई।
पुलिस ने कहा कि 12 अन्य लोगों की हालत गंभीर है और उन्हें मैसूर के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। जिला स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा कि इस बात का संदेह है कि प्रसाद के साथ जहर मिल गया हो, जिसकी वजह से यह हादसा हुआ। पुलिस के मुताबिक, गुरुवार सुबह मरम्मा मंदिर की आधारशिला रखे जाने के मौके पर प्रसाद बांटा गया था। प्रसाद खाने के बाद लोगों को उल्टी के साथ पेट में दर्द होने लगा। कुछ पीड़ितों का कहना है कि प्रसाद में मिट्टी के तेल की गंध आ रही थी। मुख्य सचिव और कमिश्नर ने मंड्या एवं मैसूर के डीएचओ को निर्देश दिया है कि वे चमराजनगर में स्वास्थ विभाग को सभी आवश्यक चीजें मुहैया कराएं।