लोकसभा चुनाव के पहले कांग्रेस ने बड़ा दांव खेलकर प्रियंका गांधी को सक्रिय राजनीति में उतारा है. इसके साथ ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जोश भर गया है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को प्रियंका गांधी को कांग्रेस का महासचिव नियुक्त किया उन्हें पूर्वी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी दी गई है, प्रियंका फरवरी के पहले सप्ताह में अपनी जिम्मेदारी को संभालेंगी.
कांग्रेस के कार्यकर्ता लम्बे समय से प्रियंका को राजनीति में लाने की मांग करते रहे हैं. उनके समर्थन में कई जगह पोस्टर भी लगाए जाते रहे हैं. लेकिन अब कार्यकर्ताओं का इंतजार खत्म हुआ और प्रियंका ने राजनीति में कदम रखा.
मालूम हो कि प्रियंका में लोगों को इंदिरा की छवि नजर आती है. चाहे उनकी हेयरस्टाइल हो या फिर बात करने का तरीका. यहां तक की कहा जाता है कि प्रियंका का स्वभाव इंदिरा की तरह ही मिलनसार है.
हालांकि, राजनीतिक घराने से ताल्लुक रखने वाली प्रियंका के पास राजनीतिक अनुभव नहीं है. इसके बावजूद वो राहुल को पार्टी से जुड़े फैसले लेने में मदद करती आई हैं. प्रियंका को लेकर एक किस्सा बेहद मशहूर है कि यूपी चुनाव में कांग्रेस की हार हुई थी तब प्रियंका के ही कहने पर राहुल ने माना था कि पार्टी का संगठन यूपी में कमजोर है. इसके बाद राहुल ने यूपी कांग्रेस में बदलाव किए थे.
बताया जाता है कि प्रियंका गांधी ने अपना पहला सार्वजनिक भाषण 16 साल की उम्र में दिया था. उन्होंने दिल्ली के मॉडर्न स्कूल से पढ़ाई की है. इसके बाद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के जीसस एंड मैरी स्कूल से साइकॉलोजी की डिग्री हासिल की.
प्रियंका अपने पति रॉबर्ट वाड्रा से 13 साल की उम्र में मिली थीं. करीबी बताते हैं कि प्रियंका ने ही रॉबर्ट की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया था. दादी इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राहुल और प्रियंका ने अपनी पढ़ाई घर से ही जारी रखी. इसके बाद उनकी सामजिक जिंदगी बहुत सिमट गई. उन्हें 24 घंटे सुरक्षाकर्मियों के साये में रहना पड़ता था.
प्रियंका और रॉबर्ट शादी से पहले 6 साल तक एकसाथ थे. इसके बाद उन्होंने परिवार को अपने रिश्ते के बारे में बताया.
गांधी परिवार ने इस रिश्ते का विरोध किया लेकिन दादी इंदिरा गांधी की तरह प्रियंका भी अपने प्यार के लिए अड़ गईं. आखिरकार परिवार को हामी भरनी ही पड़ी.