दस्तक टाइम्स एजेंसी/ फर्जी पॉवर ऑफ अटार्नी से मसूरी के क्यारखुली स्थित भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) की जमीन बेचकर 32 लाख रुपये हड़पने के मामले में पुलिस ने केस दर्ज किया है। आईजी (एसआईटी) संजय गुंज्याल के निर्देश पर चार लोगों के खिलाफ थाना मसूरी में धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया गया है। आरोपियों में एक अधिवक्ता भी है।
आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने धरपकड़ शुरू कर दी है। बता दें कि अमर उजाला ने आईटीबीपी अकादमी की भूमि के राजस्व रिकार्ड में फेरबदल कर अवैध तरीके से जमीन बेचने के मामले का खुलासा किया था।
जमीन मामले में प्रवेश कुमार बक्शी निवासी तरुण एन्क्लेव दिल्ली ने आईजी संजय गुंज्याल से शिकायत की थी। बक्शी का आरोप है कि एक अधिवक्ता ने अपने साथियों के साथ मिलकर फर्जी पावर ऑफ अटार्नी तैयार करके उनसे क्यारकुली में कई बीघा जमीन का सौदा किया।
प्रवेश कुमार ने 25 अगस्त 2015 को अधिवक्ता और उसके साथियों को 32 लाख रुपये अदा कर दिए। इसके बावजूद भी जमीन की रजिस्ट्री उसके नाम पर नहीं की। कई बार कहने के बावजूद जब आरोपियों ने जमीन की रजिस्ट्री नहीं की तो उन्हें शक हुआ। जांच पड़ताल करने के बाद पता चला कि वह जमीन आईटीबीपी की है।
एसआईटी की जांच में कहानी सामने आई कि 18 दिसंबर 1933 को रघुराज सिंह ने मसूरी में 795 बीघा से ज्यादा जमीन एडमिनिस्ट्रेटर ऑफ जनरल ऑफ यूपी से खरीदी थी। इस जमीन को रघुराज सिंह के पुत्र रघुप्रताप व ओलफ ब्रैमवेल की अन्य जमीन को राज्य सरकार ने 23 दिसंबर 1964 को अधिग्रहण कर लिया था।
उत्तर प्रदेश सरकार ने 31 मई 1988 को यह भूमि भारत तिब्बत सीमा पुलिस अकादमी को आवंटित कर दी। लेकिन लंबे समय तक आईटीबीपी आवंटित भूमि का राजस्व अभिलेखों में दाखिल खारिज नहीं हो पाया। इसका फायदा उठाते हुए रघुप्रताप ने इस भूमि की पॉवर ऑफ अटार्नी एक अधिवक्ता व अन्य लोगों के नाम कर दी। इन लोगों ने पावर ऑफ अटार्नी से जमीन प्रवेश कुमार को बेच दी।
जांच के बाद आईजी के निर्देश पर मसूरी पुलिस ने आरोपित अधिवक्ता रघुप्रताप, विकास चंद्रा, विकास थापली व मोहन सिंह थापली के खिलाफ धोखाधड़ी, आपराधिक षड्यंत्र व फर्जी दस्तावेजों के आधार पर भूमि बेचने का मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है। आईजी गुंज्याल ने जांच करने वाले एसआईटी और पुलिस टीम को दस हजार रुपये पुरस्कार देने की घोषणा की।