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बजट 2017: सर्विस टैक्स 16 से 18 फीसदी बढ़ा सकती है सरकार

प्रस्तावित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) कानून लागू करने की दिशा में तेजी लाने के लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली सेवा कर की मौजूदा 15 फीसदी दर को बढ़ाकर बजट में 16 से 18 फीसदी करने का प्रावधान ला सकते हैं। इस कदम से विमान सेवा, रेस्तरां में खाना, फोन बिल और अन्य सेवाएं महंगी हो सकती हैं और ये दरें जीएसटी के प्रस्तावित टैक्स स्लैब के करीब हो सकती हैं।
संभवत: एक जुलाई से लागू होने वाले जीएसटी कानून में केंद्र और राज्यों के उत्पाद शुल्क, सेवा कर और वैट जैसे करों को शामिल किया गया है। जीएसटी की कर दरों को 5,12, 18 और 28 प्रतिशत रखने का फैसला किया गया है और सेवा कर को इन्हीं में से किसी एक स्लैब में रखना बजट प्रावधान के लिए तर्कसंगत होगा। कर विशेषज्ञों का मानना है कि पिछले बजट में वित्त मंत्री ने सेवा कर 0.5 प्रतिशत बढ़ाकर इसे 15 फीसदी कर दिया था और इसलिए वह इसमें कम से कम एक प्रतिशत की वृद्धि कर इसे 16 फीसदी तक तो कर ही सकते हैं। कुछ अन्य विशेषज्ञों की राय है कि सेवा कर दरों में अंतर रखा जाना चाहिए जिसमें बुनियादी सेवाओं के लिए न्यूनतम 12 फीसदी और बाकी सेवाओं के लिए अधिकतम 16 फीसदी कर प्रावधान हो। 

रेल किराये में छूट के लिए आधार जरूरी 

इसके अलावा अप्रैल-जून में अधिकतम सेवा कर लगाने से सरकार अपनी उन योजनाओं पर खर्च करने के लिए अधिक से अधिक राजस्व जुटा सकती है जिन पर नोटबंदी का असर देखा गया है। सेवा कर अभी केंद्रीय कर ढांचे के अंतर्गत है लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद यह केंद्र और राज्यों में समान रूप से वितरित होगा। जीएसटी के तहत प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा और बुनियादी शिक्षा जैसी अनिवार्य सेवाओं के अलावा सभी सेवाएं शामिल होंगी।
सरकार आधार कार्ड यानी विशेष पहचान पत्र (यूआईडी) को रेल किराये में छूट के लिए अनिवार्य बनाने पर विचार कर रही है। आगामी बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली इसकी घोषणा कर सकते हैं। इससे सरकार को सही लाभार्थियों की पहचान करने तथा इस सुविधा के दुरुपयोग से बचने में मदद मिलेगी। सरकार फिलहाल रेल किराये में वरिष्ठ नागरिकों, छात्रों, शोधार्थियों, शिक्षकों, डॉक्टरों, नर्स, मरीजों, खिलाड़ियों, बेरोजगारों, अर्जुन पुरस्कार विजेताओं सहित 50 से अधिक वर्गों में रियायत देती है। 

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