बागपत में पंचायत का अनोखा फैसला, कहा- मृत्यु भोज में शामिल नहीं होंगे ग्रामीण
बागपत: बागपत के बिजरौल गांव में आयोजित पंचायत में सर्वसम्मति से फैसला लिया गया कि मृत्यु के बाद दिए जाने वाले भोज में कोई भी ग्रामीण शामिल नहीं होगा। बिजरौल गांव में आयोजित पंचायत में देशखाप थांबा चौधरी यशपाल सिंह ने कहा कि किसी वृद्ध के निधन के बाद शोक में आने वाले लोग किसी भी प्रकार का भोजन या चाय नहीं लेंगे। केवल शोक प्रकट करेंगे। यह भी तय किया गया कि मृतक के शव पर कफन के अलावा अलग से कोई कपड़ा भी नहीं डाला जाएगा। उसकी जगह लोग घी और सामग्री लेकर श्मशानघाट पहुंचेंगे। उन्होंने कहा कि दरअसल, सामाजिक परम्पराएं समय के अनुसार बदलती रहती हैं। क्षेत्र में परम्परा है कि किसी व्यक्ति के निधन पर अक्सर महिलाएं अंतिम संस्कार के पहले कफन के रूप में बड़ी संख्या में चादर लाकर शव पर डालती हैं। महिला की मौत हो जाए तो साड़ी आदि डाली जाती है। बिजरौल गांव में हुई पंचायत ने इस परम्परा को बदलने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया है।
गांव के आर्य समाज मंदिर में आयोजित पंचायत में ग्रामीणों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि अब मृत्यु होने पर शव पर कफन के अलावा अन्य कपड़े नहीं डाले जाएंगे क्योंकि पुरानी परम्परा का अब कोई महत्व नहीं है। पहले शव पर कपड़े डाले जाते थे तो गरीब लोग उठाकर ले जाते थे लेकिन अब इन कपड़ों को उठाने वाला कोई नहीं आता है। यह श्मशानघाट में इधर-उधर ही बिखरे रहते हैं। पंचायत में वक्ताओं ने कहा कि शव पर कपड़ा डालने के बजाय शोक प्रकट करने आने वाला व्यक्ति अपने घर से देसी घी और सामग्री लेकर पहुंचेगा। जिससे प्रदूषण में कमी हो सके। घी एवं सामग्री से पर्यावरण नहीं बिगड़ेगा। गौरतलब है कि गांव में अक्सर वृद्धजनों के निधन के बाद 13वीं के समय सैंकड़ों लोगों को बुलाया जाता है और उनके लिए भोज का आयोजन किया जाता है। शोक जताने आने वाले रिश्तेदारों और अन्य मिलने वालों पर कोई पाबंदी नहीं रहेगी। वह दूर से चलकर आते हैं तो उन्हें भोजन कराना मेहमान नवाजी जरूरी है। पंचायत की अध्यक्षता महेन्द्र सिंह और संचालन रामशरण ने किया। पंचायत में बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे।