समाजवादी पार्टी टूट की कगार पर आ खड़ी हुई है। अब बात अब इतनी आगे जा चुकी है कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपनी राह अलग करते हुए, चुनाव आयोग जाकर एसपी के चुनाव चिह्न ‘साइकिल’ को जब्त करने की मांग कर सकते हैं। दोनों तरफ से मिल रहे कड़े संकेत यही इशारा कर रहे हैं कि अब जो भी होगा निर्णायक होगा। उधर समाजवादी पार्टी में चल रहे इस घटनाक्रम पर कांग्रेस के रणनीतिकारों की पैनी नजर है।
खबरों की माने तो टिकट बंटवारे में अनदेखी के बाद अखिलेश की आक्रामकता सिर्फ दिखाने के लिए नहीं है। अगर उनके पिता मुलायम सिंह यादव और चाचा शिवपाल यादव उनकी बात नहीं मानते हैं, तो वह अपना रास्ता अलग करने का मन बना चुके हैं। संकेत
मिल रहा है कि अखिलेश इस संभावित घटनाक्रम के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं और अगर उन्हें अलग होना पड़ता है, तो वह चुनावी मैदान में अपने ‘ब्रैंड’ के बूते उतरेंगे।
अखिलेश इस बार आर-पार की लड़ाई को लड़ने का मन इस कदर बना चुके हैं कि वह चुनाव आयोग जाकर अपनी नई पार्टी के चुनाव चिन्ह के लिए आवेदन करने के साथ-साथ समाजवादी पार्टी के चिह्न ‘साइकिल’ को जब्त करने की मांग कर सकते हैं।
उधर मुलायम भी इस लड़ाई में पीछे हटने को कतई राजी नहीं हैं। शिवपाल की मौजूदगी में अखिलेश के साथ हुई 6 घंटे लंबी बैठक में मुलायम ने टिकट बंटवारे को लेकर बेटे की आपत्तियों को दरकिनार कर दिया। बताया जा रहा है कि सीएम अखिलेश ने मुलायम से बार-बार कहा, ‘आपको जो करना है मुझे करिए, मेरे लोगों को क्यों सजा दे रहे हैं?’ जवाब में मुलायम ने सिर्फ इतना कहा, ‘हम देखेंगे।’