बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) में भोजपुरी अध्ययन केंद्र के समन्वयक प्रोफेसर सदानंद शाही अब छत्तीसगढ़ के बिलासपुर विश्विविद्यालय के कुलपति नहीं बन पाएंगे. छत्तीसगढ़ राजभवन ने इस संबंध में 23 मई को जारी अपना आदेश रद्द कर दिया है. बिलासपुर सेंट्रल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर की नियुक्ति को लेकर छिड़े विवाद पर जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट राज्यपाल बीडी टंडन को सौंप दी थी.
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राजभवन ने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में भोजपुरी अध्ययन केंद्र के समन्वयक प्रोफेसर सदानंद शाही को कुलपति बनाने का आदेश वापस ले लिया है और उनकी जगह पूर्व कुलपति गौरीदत्त शर्मा की नियुक्ति कर दी है. दरअसल, राजभवन ने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सदानंद शाही को बिलासपुर यूनिवर्सिटी का वाइस चांसलर नियुक्त किया था, लेकिन प्रोफेसर शाही पर UGC के मापदंड पूरा ना करने का आरोप लगा. उनकी नियुक्ति पर रोक लगा दी गई. इसके बाद राजभवन ने इस आदेश को जारी किया.
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मालूम हो कि प्रोफेसर की नियुक्ति के बाद बनारस के सौरभ तिवारी ने उनकी अर्हता पर सवाल उठाया था. इसकी शिकायत राज्यपाल और मुख्यमंत्री से भी हुई थी. शिकायत के बाद राजभवन ने प्रोफेसर शाही की नियुक्ति पर रोक लगाते हुए पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एसके पाण्डेय की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित की थी. कमेटी ने दोनों पक्षों को सुनने के लिए 6 जून को राजभवन बुलवाया था. बताया जा रहा है कि दोनों को सुनने के बाद कमेटी ने शिकायतकर्ता की बात को सही माना है. इसके आधार पर राजभवन ने प्रोफेसर शाही की नियुक्ति आदेश को रद्द कर दिया.
वहीं, प्रोफेसर शाही के मुताबिक उन्हें झूठे मामले में फसाया गया है. वह अब राज्यपाल को पत्र लिखकर अपने आदेश की रक्षा करने की मांग करने जा रहे है. उनके मुताबिक कुलपति के चयन के लिए गठित कमेटी राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम के तहत हुई थी. कमेटी की मुहर लगने के बाद ही उनकी नियुक्ति का आदेश जारी हुआ था.