दस्तक-विशेष

बिहार: भ्रष्ट शिक्षा तंत्र ने करायी बदनामी

सौरभ सिंह पंवार
bihar corruptionकौन कहता है कि शिक्षा व्यवस्था, नीति और परीक्षा प्रणाली में दोष सिर्फ और सिर्फ बिहार प्रदेश में ही है। बिहार में कथित टापर्स को लेकर पिछले दिनों जो कुछ भी घटा वह न तो बिहार के लिए नयी बात है और न ही देश के अन्य प्रांतों के लिए। लेकिन चूंकि बिहार की छवि पहले से ही मीडिया और विभिन्न फोरमों पर खराब है, ऐसे में बिहार की बदनामी प्राथमिकता पर हो, यह एक सोची समझी साजिश के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं। ऐसा नहीं है कि बच्चा यादव सिर्फ बिहार में हैं। बच्चा सरीखे कई हैं और बकायदा देश के कई प्रांतों में सक्रिय भी हैं। वहीं यह भी सही है कि बच्चा यादव जैसे लोगों तथा रूबी राय व अन्य टॉपर्स के अभिभावकों की चाहत की इस चक्की में पिस गए और इन बच्चों को जेल का मुंह देखना पड़ा। बिहार का प्रकरण हाईलाइट होने के बाद महाराष्ट्र में बिना परीक्षा दिए परीक्षा में उत्तीर्ण हो जाने, गुजरात में गणित के पेपर में 80 से 85 फीसदी नम्बर दिए गए। कुछ बच्चों को तो 90 फीसदी तक नम्बर जैसे कई प्रकरण भी सामने आये। लेकिन यह बात आयी और गयी हो गयी लेकिन बिहार अब भी चैनलों व अखबारों की सुर्खियों में है। दरअसल वैशाली जिले के भगवानपुर में बने बिशुन राय कॉलेज की आट्र्स टॉपर रूबी राय ने पॉलिटिकल साइंस को प्रोडिकल साइंस बताया था और साइंस टॉपर सौरभ श्रेष्ठ भी कुछ सवालों का जवाब नहीं दे पाया था। इतना ही नहीं, इन टॉपरों को यह भी नहीं पता था कि उन्होंने कितने विषयों की परीक्षा दी है और कुल कितने अंकों की परीक्षा थी। एक खबरिया चैनल के स्टिंग ऑपरेशन से यह खुलासा हुआ था। इसी के बाद टॉपर घोटाला सामने आया। घोटाले का मास्टरमाइंड बच्चा राय को माना गया। बच्चा राय ही बिशुन राय कॉलेज चलाता है। यह वह कॉलेज है, जहां के छात्र टॉप करते हैं। पुलिस की अब तक की जांच में खुलासा हुआ है कि बच्चा राय एग्जाम होने से पहले ही बिहार बोर्ड के अफसरों के साथ मिलकर इंटर के टॉपर्स के नाम तय कर लेता था।
वहीं, जिन लड़कों के नाम तय हो जाते थे, उनसे पैसा एडवांस में ही ले लिया जाता था। बाद में मार्कशीट और सर्टिफिकेट का पैसा अलग से लिया जाता था। इंटर आट्र्स और साइंस के रिजल्ट में उसके कॉलेज के कई स्टूडेंट टॉप करते आए थे। आरोप है कि बच्चा फर्जी डिग्रियों के बल पर प्रिसिंपल बना था। अब बच्चा राय पुलिस की गिरफ्त में है लेकिन उसकी राजनैतिक पहुंच को देखते हुए यह चर्चा आम है कि उनका बाल भी बांका नहीं होगा।
bihar corruption_3उधर, बिहार के टॉपर स्कैम में रोजाना नए खुलासे हो रहे हैं। स्कैम के मास्टरमाइंड बच्चा राय की गिरफ्तारी के बाद अब उसके कॉलेज और एजुकेशनल ट्रस्ट में हिस्सेदारी को लेकर नया खुलासा सामने आया है। कहा जा रहा है कि बच्चा राय के जिस कॉलेज से पूरे स्कैम के तार जुड़े हैं उसमें एक केंद्रीय मंत्री का 30 फीसदी शेयर है, साथ ही एक विधायक की भी 20 फीसदी की हिस्सेदारी है। इस बात के प्रमाण मामले की जांच कर रहे एसआईटी को भी मिले हैं। एसआईटी ने जब बच्चा के कॉलेज को खंगाला तो उस कॉलेज के आलमीरा से कैश समेत भारी मात्रा में ज्वेलरी भी मिले। साथ ही बच्चा विशुन राय एजुकेशनल ट्रस्ट के माध्यम से एक दर्जन से भी ज्यादा कॉलेजों का संचालन करता है। छापेमारी में पुलिस को कई बैंकों के पासबुक भी मिले हैं जिनसे कॉलेज को आने वाली आय का पता लगाने में एसआईटी जुटी है। इससे पहले बच्चा की तस्वीरें सीएम नीतीश कुमार, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के साथ-साथ राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पीके शाही के साथ वायरल हो चुकी है।
bihar corruption_2इस बीच बिहार टॉपर स्कैम में एक और बड़ा खुलासा हुआ। एसआईटी को अपनी जांच में पता चला है कि राज्य में इंटरमीडिएट के जाली सर्टिफिकेट पांच लाख रुपए में बेचे जा रहे थे। जिसके बाद एसआईटी ने कई जगह छापे भी मारे और इस मामले के सबूत जुटाए। इंटर टॉपर घोटाले की जांच में लगी एसआईटी की छापेमारी लगातार जारी है। इस कड़ी में दो अलग-अलग टीमों ने राजधानी में गंगा देवी महिला कॉलेज और हाजीपुर में वीआर कॉलेज को अब तक दो बार खंगाल चुकी है। टॉपर घोटाला के तार पूर्व चेयरमैन की पत्नी प्रो. उषा सिंहा से जुड़ने के बाद गंगा देवी कॉलेज में सबूतों की तलाश की जा रही है। प्रो. उषा गंगा देवी कॉलेज की प्रिंसिपल हैं। अब दोनों कॉलेजों से कई तरह के कागजात बरामद करके तहकीकात की जा रही है। छापे के दौरान एसआईटी ने एक शख्स को हिरासत में लिया था। इस शख्स ने पूछताछ में बताया कि इंटरमीडिएट का जाली सर्टिफिकेट पांच लाख रुपए में बेचा जाता था।
bihar corruption_1एसआईटी के हत्थे लगे एक सूत्र ने कुबूल किया है कि स्कैम में शामिल लोग पांच लाख रुपए लेकर उन लोगों को भी इंटरमीडिएट के जाली सर्टिफिकेट मुहैया करा देते थे जिन्होंने एग्जाम ही नहीं दिया था और यहां तक कि वो किसी कॉलेज के स्टूडेंट्स भी नहीं थे। इस शख्स से मिली जानकारी के बाद अब एक पुलिस टीम औरंगाबाद भी गई। हालांकि कई जगहों पर छापे मारने के बाद एसआईटी ने अंतत: बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड यानी बीएसईबी के चेयरमैन लालकेश्वर प्रसाद सिंह और उसकी पत्नी को यूपी के वाराणसी से पकड़ा। लालकेश्वर की पत्नी ऊषा सिंह जेडीयू की पूर्व एमएलए और जीडीएमसी कॉलेज की प्रिंसिपल है। उधर, पुलिस ने विशुन राय कॉलेज के डायरेक्टर बच्चा राय को पुलिस ने रिमांड पर लेकर पूछताछ की है। पुलिस ने इस पूरे प्रकरण में बिशुन राय कॉलेज के मालिक और प्रिंसिपल अमित कुमार उर्फ बच्चा राय, प्रिंसिपल जीए इंटर स्कूल, हाजीपुर शैल कुमारी, राजेंद्रनगर बॉयज हाईस्कूल के प्रिंसिपल विशेश्वर यादव, साइंस टॉपर शालिनी राय, सेकेंड साइंस टॉपर सौरभ श्रेष्ठ, चौथा साइंस टॉपर राहुल कुमार तथा आट्र्स टॉपर रुबी राय को आरोपी बनाया है। इस बीच, अब एक ओर जहां एसआईटी इंटर परीक्षा की फर्जी टॉपर रूबी राय की उत्तर पुस्तिकाओं को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजने की तैयारी कर रही थी, वहीं रूबी की एक विषय की कॉपी स्ट्रॉन्ग रूम से गायब है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि इंटर टॉपर घोटाला के कुछ सबूतों को मिटाने के लिए रूबी राय की कॉपियों को एक सोची-समझी रणनीति के तहत गायब किया गया हैै। इंटर टॉपर घोटाला के मास्टरमाइंड बच्चा राय और बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद के बीच टॉपर बनाने को लेकर डील पूरी प्लानिंग के साथ हुई थी। टॉपर बनाने के इस खेल में बोर्ड के कई कर्मचारियों के भी शामिल होने की बात कही जा रही है। अब जब एसआईटी की जांच अपनी रफ्तार पकड़ चुकी है, ऐसे में रूबी राय की उत्तर पुस्तिकाओं का गायब हो जाना सीधे बोर्ड के कर्मियों को शक के घेरे में ले आता है। बोर्ड ने इस बात का जवाब मांगा है कि किस परिस्थिति में रूबी राय की होम साइंस की कॉपी स्ट्रॉन्ग रूम से गायब हो गई। वहीं रूबी राय की अन्य सभी विषयों की कॉपी एसआईटी के पास है, लेकिन होम साइंस की उत्तर पुस्तिका शुरू से एसआईटी को उपलब्ध नहीं करवाई गई। बोर्ड से ये भी पूछा गया है कि कॉपियों को सुरक्षित रखने की जिम्मेवारी किसकी थी। बोर्ड का जवाब मिलने के बाद एसआईटी आगे की कार्रवाई करेगी।
अभी तक की जांच में यह बात साफ है कि रूबी राय ने परीक्षा में अपनी उत्तर पुस्तिकाओं को खुद नहीं लिखा था। रूबी राय की कॉपियों को दूसरों से लिखवाया गया था। रूबी राय की लिखावट के मिलान की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, इसलिए इन कॉपियों को गायब किया गया है। बताया जाता है कि बच्चा राय के कॉलेज में ही परीक्षा के दौरान दूसरी कॉपियों पर प्रश्नों के उत्तरों को लिखा जाता था, जिसे बाद में दूसरे कॉपियों में जोड़ दिया जाता था। एसआईटी जांच में इस बात का खुलासा हुआ कि बच्चा राय के कॉलेज में आरएम कॉलेज की मुहर लगी कई दर्जन कॉपियां मिली थीं। बच्चा राय के इस खेल में बोर्ड के भी कई कर्मी शामिल थे। इंटर की परीक्षा में विशुन राय कॉलेज का परीक्षा केन्द्र पहले हाजीपुर के गुरुकुल पीठ को बनाया गया था, लेकिन ऐन वक्त पर इसे बदलकर हाजीपुर के जीए इंटर कॉलेज में बिना किसी लिखित आदेश के कर दिया गया। एसआईटी इसकी भी जांच कर रही है और गुरुकुल पीठ के प्रिंसिपल को भी बुलाकर पूछताछ करेगी।
वहीं जनता दल (युनाइटेड) की पूर्व विधायक और बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद सिंह की पत्नी उषा सिन्हा भी संकट में पड़ गई हैं। पता चला है कि उनकी डिग्रियां भी फर्जी हैं। टॉपर्स घोटाले में लालकेश्वर प्रसाद सिंह की पत्नी पूर्व विधायक उषा सिन्हा को अपनी शैक्षणिक योग्यताओं के बारे में भी उन्हें बहुत कुछ कहना है, क्योंकि उन पर फर्जी डिग्रियों का आरोप लगा हैं। शपथ पत्र के अनुसार उषा सिन्हा 2010 में 49 साल की थीं, जब उन्होंने बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीता था। उषा सिन्हा ने शपथ पत्र में अपनी जन्म तिथि 1961 दर्शाई है और उत्तर प्रदेश शिक्षा बोर्ड से 1969 में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की थी। इसका मतलब यह हुआ कि उन्होंने आठ साल की उम्र में ही मैट्रिक की परीक्षा पास कर ली थी। उनके शपथ पत्र के अनुसार अवध विश्वविद्यालय से उन्होंने 1976 में स्नातकोत्तर की परीक्षा पास की थी, जबकि अवध विश्वविद्यालय की स्थापना ही 1975 में हुई थी। यानी, दो साल का एमए उन्होंने एक ही साल में कर लिया था। उन्होंने 23 साल की उम्र में मगध विश्वविद्यालय से पीएचडी भी कर ली थी।
इंटर टॉपर्स घोटाला की भारी बदनामी और फजीहत के बाद बिहार सरकार ने 750 प्लस टू स्कूल तथा 462 निजी इंटर कॉलेजों की जांच कराने का फैसला किया है। जांच के लिए सभी डीएम, एसपी और डीईओ को जिम्मेदार बनाया गया है। जिन 750 प्लस टू स्कूल की जांच होनी है, वहां इंटर की पढ़ाई होती है। इन्हें अपग्रेड किया गया है। इसी तरह 462 निजी इंटर कॉलेजों की भी जांच होनी है। इनके बिल्डिंग, फर्नीचर, छात्र, शिक्षक यानी सब कुछ जांचे जाएंगे। सरकार जानना चाहती है कि वाकई इन संस्थानों में पढ़ाई होती है या ये बस फर्जी सर्टिफिकेट या डिग्री देने का काउंटर भर हैं? ल्ल

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