सियासत में कुछ भी संभव है और दुश्मन कब दोस्त और दोस्त कब दुसमन बन जाये कोई नहीं जनता अब मिजोरम की चकमा ट्राइबल (आदिवासी) काउंसिल में बीजेपी और कांग्रेस के नव निर्वाचित सदस्यों ने हाथ मिला लिया है, ताकि सदन को चलाया जा सके. स्थानीय कांग्रेस की पहल पर दोनों पार्टियों के नेताओं ने हाथ मिलाया है, ताकि मिजो नेशनल फ्रंट को सत्ता से बाहर रखा जा सके. इस महीने हुए चकमा ऑटोनॉमस डिस्ट्रिक्ट काउंसिल के चुनाव में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला. इस काउंसिल की स्थापना 1972 में हुई थी, इसका मकसद बुद्धिस्ट ट्राइबल को शासन का स्वाधिकार देना था. 20 सदस्यीय काउंसिल में सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी मात्र 6 सीटें ही जीत पाई, जबकि बीजेपी को 5 सीटें मिलीं. मगर एमएनएफ जो कि बीजेपी की अगुवाई वाली नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस का हिस्सा है, काउंसिल में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और इसे आठ सीटें मिलीं.
हालांकि दिल्ली में बैठे अमित शाह ने इस बारे में अपना गणित पहले ही बिठा लिया था, कि बीजेपी और एमएनएफ मिलकर सत्ता हासिल कर सकते हैं. यही नहीं अमित शाह ने बीजेपी-एमएनएफ के लिए बधाई संदेश भी ट्वीट कर दिया कि दोनों दलों ने 20 में से 13 सीटें हासिल कर लीं हैं. उन्होंने इसे मिजोरम में बीजेपी के उदय से जोड़ा है. शाह ने इस संबंध में मंगलवार को ट्वीट किया था. बता दें कि मिजोरम नॉर्थ ईस्ट का आखिरी राज्य है, जहां कांग्रेस सत्ता में हैं. बीजेपी की पूरी कोशिश है कि अगली बार जब राज्य में चुनाव हो, तो कांग्रेस वापस सत्ता में न आने पाए. चकमा काउंसिल 650 स्क्वॉयर किलोमीटर में बसे 45 हजार लोगों का प्रतिनिधित्व करती है, जो कि राज्य की पूरी चकमा आबादी की आधी है. चुनावों में सत्ता के लिए चकमा लोगों का समर्थन काफी मायने रखता है.
दूसरी ओर आइजोल से 130 किलोमीटर दूर दक्षिण में बैठे स्थानीय कांग्रेस नेताओं ने बीजेपी नेताओं को एक अलग विकल्प के लिए तैयार कर लिया. इस डील के तहत बीजेपी नेताओं के गुट को चेयरमैन का पोस्ट मिला है, जबकि कांग्रेस के हिस्से डिप्टी का पोस्ट आया है. मगर बीजेपी कांग्रेस का ये मिलान किसी अचम्भे से कम नहीं है.