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उत्तर प्रदेश में बीजेपी की महिला विधायक द्वारा बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती पर की गई अभद्र टिप्पणी उन्हें महंगी पड़ सकती है। चुनावी साल में बीएसपी ऐसा कोई मुद्दा अपने हाथ से नहीं जाने देगी जिससे उसे सत्ताधारी दल पर हमलावर होने का मौका मिले।
नई दिल्ली : बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की मुखिया मायावती पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की महिला विधायक द्वारा आपत्तिजनक टिप्पणी का मामला गरमा गया है। दरअसल उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले की मुगलसराय सीट से बीजेपी विधायक साधना सिंह ने गेस्ट हाउस कांड का जिक्र करते हुए कहा कि जिस समाजवादी पार्टी ने उनका चीर हरण किया उसी से गठबंधन कर उन्होंने नारी जाति को कलंकित किया है। इससे पहले साल 2016 में विधानसभा चुनावों के पहले बीजेपी नेता दयाशंकर सिंह ने मायावती की तुलना वैश्या से की थी, जिसके बाद उन्हें जेल जाना पड़ा और पार्टी से निकाल दिया गया। हालांकि उनकी पत्नि स्वाति सिंह अब बीजेपी से विधायक और योगी सरकार में मंत्री भी हैं। लिहाजा यह सवाल उठना लाजमी है कि लोकसभा चुनावों से पूर्व अपनी महिला विधायक की अभद्र टिप्पणी पर बीजेपी क्या कदम उठाती है?
बीजेपी विधायक ने क्या कहा?
यूपी के मुगलसराय से बीजेपी विधायक साधना सिंह ने चंदौली जिले के परपुरा गांव में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री न महिला लगती हैं और न ही पुरुष जिस महिला का इतना बड़ा चीर हरण हुआ, सब कुछ लुट गया उन्होंने सत्ता सुख हासिल करने के लिए अपने सम्मान को बेच दिया। और समाजवादी पार्टी से गठबंधन कर महिलाओं की अस्मत पर दाग लगाया है। साधना सिंह यही नहीं रुकीं उन्होंने कहा कि हमें उनको महिला कहने में भी संकोच लगता है वो किन्नर से भी बदतर हैं। बीजेपी विधायक की इस अभ्रद टिप्पणी पर बीएसपी के राज्यसभा सांसद सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि बीएसपी प्रमुख के लिए जिन शब्दों का प्रयोग किया गया वो बीजेपी के स्तर को दिखाता है। उन्होंने कहा कि सपा-बसपा गठबंधन के ऐलान से बीजेपी नेताओं ने अपना मानसिक संतुलन खो दिया है।सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने भी बीजेपी विधायक के बयान की निंदा की है।
दयाशंकर सिंह को बीजेपी ने किया था बाहर
साल 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों से ठीक पहले बीजेपी नेता दयाशंकर सिंह ने मायावती की तुलना वैश्या से की थी। जिसके बाद सियासी बवाल खड़ा हो गया था। इस पूरे मामले को बीएसपी और विपक्ष के नेताओं ने दलित विरोधी बताते हुए जबरदस्त विरोध किया था। मामला बढ़ता देख प्रशासन ने भी कार्रवाई करते हुए सिंह को गिरफ्तार कर लिया और उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। हालांकि तब मायावती पर की गई अभद्र टिप्पणी की आलोचना करते हुए नसीमुद्दीन सिद्दिकी ने भी दयाशंकर सिंह की बेटी को लेकर आपत्तीजनक बयान दे दिया। जिससे बीजेपी को अपने खिलाफ बन रहे माहौल से लड़ने के लिए हथियार मिल गया. दयाशंकर सिंह की पत्नी स्वाति सिंह ने मायावती के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। बाद में स्वाति सिंह को यूपी बीजपी की महिला इकाई का अध्यक्ष बनाया गया। विधानसभा चुनाव में वे लखनऊ के सरोजनीनगर से विधायक बनीं और उन्हें योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री बनाया गया।
रीता बहुगुणा भी कर चुकी हैं टिप्पणी
इससे पहले भी मायावती पर राजनीतिक हमले होते आए हैं। लेकिन राजनीतिक बयानबाजी में कुछ नेताओं ने शब्दों की मर्यादा लांघते हुए निजी हमले भी किए। साल 2009 में तत्कालीन यूपी कांग्रेस की अध्यक्ष और वर्तमान में योगी सरकार में मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने भी मायावती पर आपत्तीजनक टिप्पणी की थी। बलात्कार के एक मामले में तत्कालीन यूपी की मायावती सरकार द्वारा मुआवजा दिए जाने को लेकर मुरादाबाद में टिप्पणी करते हुए जोशी ने कहा था कि उनके (मायावती) बलात्कार के बदले यह रकम कम है, इसे मायावती के मुंह पर फेंक देना चाहिए। जोशी के इस बयान से आक्रोशित बीएसपी नेताओं व कार्यकर्ताओं ने 15 जुलाई 2009 को उनका घर फूंक दिया। जबकि उन्हें मुरादाबाद में मुख्यमंत्री के बारे में अपमानजनक भाषण देने के लिए गिरफ्तार कर लिया गया। अपने विवादास्पद बयान के लिए उन्होंने खेद भी प्रकट किया लेकिन मायावती ने कहा कि उनका अपराध माफी योग्य नही है।
क्या बीजेपी अपनी महिला विधायक पर करेगी कार्रवाई?
आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन के ऐलान के बाद बीजेपी नेताओं द्वारा मायावती और अखिलेश पर राजनीतिक हमला तेज हो गया है। जैसे-जैसे चुनावी पारा ऊपर चढ़ेगा इन हमलों के और तेज होने की संभावना है। लेकिन ऐसे नेताओं को अपनी भाषा की मर्यादा का भी ध्यान रखना होगा, क्योंकि राजनीति का तकाजा कहता है कि निजी टिप्पणी अंतत: उसी को फायदा पहुंचाती है जिसके ऊपर की जाती है. मायावती पर निजी हमला कर बीजेपी की महिला विधायक ने बीएसपी को हमलावर होने का मौका दे दिया है। और चुनावी साल में बीएसपी ऐसा कोई भी मौका अपने हाथ से नहीं जाने देगी।